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20 अगस्त 2009

सूखा घोषित करने की होड़

देश के राज्यों में अब ज्यादा से ज्यादा जिलों को सूखाग्रस्त घोषित करने की होड़ लग गई है। अभी तक दस राज्यों के कुल 304 जिलों में से 246 को सूखाग्रस्त घोषित किया जा चुका है। अन्य राज्यों में अभी स्थिति का आकलन किया जा रहा है और आने वाले दिनों में सूखाग्रस्त जिलों की संख्या में और इजाफा होने की आशंका है। आज हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भी सूखे और महंगाई पर विशेष चर्चा हुई।कृषि मंत्री शरद पवार के मुताबिक इन 246 जिलों में सामान्य से काफी कम बारिश हुई है और अबतक पूरे देश में सामान्य से 29 फीसदी कम बारिश रही है। इससे देश के लगभग 47 फीसदी हिस्से में फसल चौपट होने की आशंका पैदा हो गई है। इसका सीधा असर अनाज उत्पादन पर होगा।अभी तक असम के सभी 27, झारखंड के 24, हिमाचल के 12, मणिपुर के 9 और नगालैंड के सभी 11 जिले सूखाग्रस्त घोषित किए जा चुके हैं। इनके अलावा उत्तर प्रदेश के 70 में से 58, बिहार के 38 में से 26, कर्नाटक के 28 में से 20, महाराष्ट्र के 35 में से 22 और मध्य प्रदेश के 50 में से 37 जिले सूखाग्रस्त घोषित किए गए हैं। वैसे मध्य प्रदेश को लेकर थोड़ी ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को 37 जिलों को सूखा प्रभवित बताया था, लेकिन बुधवार को प्रदेश के राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने कहा कि 40 जिले कम बारिश या बेहद कम बारिश से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि 40 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित करने की तैयारी है।आम तौर पर बुवाई क्षेत्रफल 50 फीसदी घटने, फसल 32 से 40 फीसदी बर्बाद हो जाने और बारिश में कमी को आधार बनाकर सूखे का ऐलान किया जाता है। इस पारंपरिक तरीके से पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों को सूखाग्रस्त घोषित करना मुश्किल है, हालांकि बारिश यहां भी कम हुई है। हलांकि पवार के मुताबिक पंजाब और हरियाणा ने केंद्र को आश्वस्त किया है कि वे धान की फसल को नुकसान से बचाने की कोशिश करेंगे, लेकिन पानी की कमी के कारण वहां पैदावार पर असर पड़ सकता है।राज्य सरकार जब किसी जिले को सूखाग्रस्त घोषित करती है तो उसके बाद वहां जिलाधिकारी की तरफ से राजस्व वसूली स्थगित कर दी जाती है। इसके बाद राज्य सरकार केंद्र को मेमोरेंडम भेजती है। इसके बाद केंद्रीय टीम राज्य का दौरा कर रिपोर्ट तैयार करती है। इसी टीम की सिफारिश पर आपदा राहत कोष से राज्य को पैसा मिलता है और राज्य सरकार नुकसान के आधार पर मुआवजा देती है।बुधवार को नई दिल्ली में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भी सूखे के संकट और महंगाई से निपटने के उपायों पर चर्चा हुई। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सूखे से निपटने के प्रयासों में तेजी लाने पर भी सहमति जताई गई। महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और अरुणाचल प्रदेश में जल्दी ही चुनाव कराए जाने हैं। इनमें से झारखंड तो पूरा और महाराष्ट्र का अधिकांश हिस्सा सूखे की चपेट में है। सूखे से निपटने के उपायों में तेजी लाने की पहलबिजनेस भास्कर नई दिल्लीसूखे और महंगाई से निपटने के लिए कांग्रेस ने इसके लिए किए जा रहे प्रयासों में और तेजी लाने की पहल की है। पार्टी की कार्यसमिति की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी सांसदों और विधायकों से अपने वेतनमान में से सूखा राहत कार्य के लिए अंशदान देने को कहा है। सूखे और महंगाई के संकट से निपटने के लिए बुलाई गई बैठक में जब इस बात की पहल की गई कि पार्टी सांसद और विधायक सूखा राहत कोष में अपने वेतनमान का अंशदान करेंगे। यह अंशदान तब तक जारी रहेगा जब तक सूखे पर काबू नहीं पा लिया जाता। करीब तीन घंटे तक चली बैठक में प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के अलावा वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी, गृहमंत्री पी. चिदंबरम, रक्षा मंत्री एके एंटनी, सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी, स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल, कानून मंत्री वीरप्पा मोइली आदि मौजूद थे। बैठक में चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी की रणनीति को लेकर भी व्यापक विमर्श किया गया। महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और अरुणाचल प्रदेश में जल्दी ही चुनाव कराए जाने हैं। इनमें से महाराष्ट्र और झारखंड के अधिकांश हिस्से सूखे की चपेट में हैं। ऐसे में इन राज्यों में ज्यादा से ज्यादा राहत कार्य पहुंचाने की पहल भी की गई। पार्टी सांसदों और विधायकों को भी इस प्रकार से निपटने के लिए खास उपाय करने पर बल दिया गया। (Business Bhaskar)

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