चीनी की बढ़ती कीमतों का खमियाजा अब सरकार को भी भुगतना पड़ रहा है। सरकार द्वारा राशन में वितरण के लिए उद्योग से ली जाने वाली 10 फीसदी चीनी के लिए अब उसे अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी। इसके साथ ही लेवी में चीनी की मात्रा 20 फीसदी करने के लिए भी सरकार उद्योग पर दबाव बना रही है। इन दोनों मुद्दों पर सरकार और चीनी उद्योग के बीच इस सप्ताह गुरुवार को हुई तीसरी बैठक भी बेनतीजा रही।
उद्योग सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में उद्योग के पक्ष में फैसला आ जाने के बाद अब गन्ने के लिए राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) वाले राज्यों में इस आधार पर ही लेवी की कीमत देनी होगी। इस आधार पर उत्तर प्रदेश के लिए कीमत 2300 रुपये प्रति क्विंटल तक बैठती है, जबकि सरकार चाहती है कि उसे 1800 रुपये प्रति क्ंिवटल की ही कीमत देनी पड़े। वहीं, लेवी को 20 फीसदी कर आपूर्ति बढ़ाने के मुद्दे पर भी कोई फैसला नहीं हो सका। इन दोनों मुद्दों पर कृषि व खाद्य मंत्री शरद पवार और चीनी उद्योग के बीच गुरुवार को तीसरी बैठक हुई। अब इस मुद्दे पर शायद सप्ताह भर बाद बैठक होगी।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष समीर एस सोम्मैया ने पत्रकारों को बताया कि खुले बाजार में चीनी की सप्लाई बढ़ाने पर कृषि मंत्री शरद पवार से बात हुई है। त्योहारी सीजन होने के कारण आमतौर पर अगस्त से नवंबर तक चीनी की मांग बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि उत्पादन में कमी के कारण ही चीनी के दामों में तेजी आई है। चालू सीजन में चीनी का उत्पादन 150 लाख टन होने की संभावना है, जबकि देश में सालाना खपत करीब 225 लाख टन की है। गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के भाव 23.44 सेंट प्रति पाउंड पर पहुंच गए। ऐसे में आम उपभोक्ता को चीनी की कीमतों में तत्काल राहत मिलने की संभावना नहीं के बराबर है। (Business Bhaskar....R S Rana)
21 अगस्त 2009
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