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21 अगस्त 2009

स्टॉक लिमिट का बड़ी फूड कंपनियों पर कोई असर नहीं

चीनी और दालों पर स्टॉक लिमिट लगाने का बड़ी फूड कंपनियों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। सरकारी सूत्रों के अनुसार चीनी की सबसे ज्यादा खपत करने वाली हिंदुस्तान यूनिलीवर, ब्रिटानिया, कैडबरी, नेस्ले, कोका कोला, पेप्सिको और आईटीसी समेत कई कंपनियां स्टॉक लिमिट के दायरे से बाहर हैं। हालांकि, दाल मिलरों के लिए जो स्टॉक की मात्रा तय की गई है वह पर्याप्त है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार चीनी का उपयोग करने वाली फूड कंपनियों पर स्टॉक रखने की लिमिट तय नहीं की गई है। हालांकि, चीनी के थोक और फुटकर व्यापारी पर क्रमश: 2000 क्विंटल और 200 क्विंटल की लिमिट लगी हुई है।
मालूम हो कि हिंदुस्तान यूनिलीवर, ब्रिटानिया, कैडबरी, नेस्ले, कोका कोला, पेप्सिको और आईटीसी तथा अन्य कंपनियां चीनी के कुल उत्पादन का लगभग 60 से 70 फीसदी हिस्सा खपत करती हैं। एक नामी कंपनी के अधिकारी ने बताया कि हम चीनी की खरीद खपत के लिए करते हैं, न कि बेचने के लिए। वैसे भी ज्यादातर कंपनियां कुल खपत का सिर्फ 15 से 20 दिन का माल ही स्टॉक में रखती है।
इस समय तो चीनी के दाम इतने ज्यादा बढ़े हुए हैं कि हम ज्यादा स्टॉक रखेंगे तो कंपनी पर ज्यादा भार पड़ेगा। दिल्ली में दाल मिलर एक महीने की क्रेसिंग का साबूत माल और 15 दिन की क्रेसिंग का फ्रेश माल रख सकता है। जबकि महाराष्ट्र में दाल मिलर पिछले तीन सालों में से एक वर्ष (जिसमें सबसे ज्यादा क्रसिंग की) का लगभग 16 फीसदी माल स्टॉक में रख सकते हैं।
महाराष्ट्र स्थित मेसर्स बंदेवार दाल एंड बेसन मिल्स के मैनेजिंग डायरेक्टर एस के बंदेवार ने बताया कि इस समय बाजारों में चने को छोड़ अन्य दालों का स्टॉक ही काफी कम मात्रा में है। दालों के दाम ऊंचे होने के कारण दालों की बिक्री में भी कमी आई है।
इसीलिए मिलर माल भी जरूरत के हिसाब से खरीद रहे हैं। चने का सबसे ज्यादा स्टॉक मध्य प्रदेश में है। वहां राज्य सरकार ने चीनी पर तो स्टॉक लिमिट लगा रखी है, लेकिन दलहन पर स्टॉक लिमिट नहीं लगाई गई है। दिल्ली स्थित मेसर्स हरियाणा फूड एंड जरनल मिल्स के डायरेक्टर अशोक गुप्ता ने बताया कि दिल्ली में दलहन का स्टॉक सीमित मात्रा में है तथा मिलों के लिए जो लिमिट तय की गई है वह पर्याप्त है। (Business Bhaskar....R S Rana)

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