नई दिल्ली- चीनी की ऊंची कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए जल्दी ही खुले बाजार में और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत चीनी की आपूर्ति बढ़ाए जाने की संभावना है। इस सिलसिले में केन्द्र सरकार और चीनी उद्योग के बीच जल्दी ही सहमति बन जाने की उम्मीद है। इस समय खुदरा बाजार में चीनी की कीमतें 30 रुपए प्रति किलोग्राम का स्तर पार कर गई हैं और बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए चीनी की आपूर्ति बढ़ाने पर विचार हो रहा है। खाद्य एवं कृषि मंत्री शरद पवार ने चीनी की आपूर्ति सुनिश्चित करने और इसकी कीमतों को काबू में रखने के मुद्दे पर चीनी उद्योग के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद यह जानकारी दी। कमोडिटी जानकारों का कहना है कि सरकार और चीनी उद्योग के बीच संभावित करार के बाद उद्योग द्वारा लेवी वाली चीनी (इसका इस्तेमाल पीडीएस में किया जाता है) की आपूर्ति बढ़ा दी जाएगी। मौजूदा समय में चीनी मिलों को अपने कुल उत्पादन का 10 फीसदी हिस्सा सरकार को देना होता है, जो राशन की दुकानों से सस्ती चीनी की बिक्री करती है।
पवार ने कहा, 'मैं कह सकता हूं कि इस मसले पर चीनी उद्योग का रवैया काफी सहयोगात्मक रहा। वे इस समस्या के समाधान के लिए सरकार के साथ सहयोग करना चाहते हैं, जिससे इसका कुछ हल निकले और खुले बाजार तथा पीडीएस के लिए चीनी की आपूर्ति बढ़ सके।' पवार अगले दो दिनों तक चीनी उद्योग के साथ इस मुद्दे पर बातचीत करेंगे। उन्होंने कहा, 'हमने दोबारा मुलाकात करने का फैसला किया है। उसके बाद शायद हम किसी सहमति पर पहुंच सकेंगे।' पिछले एक साल के दौरान चीनी की कीमतें 70 फीसदी तक बढ़ चुकी हैं। आगामी त्योहारी सीजन में चीनी की कीमतों में और तेजी आने की आशंका है। कमोडिटी जानकारों का कहना है कि चीनी की कीमतों में तेजी का प्रमुख कारण यह है कि 2008-09 सीजन में इसका उत्पादन घटकर 1.48 करोड़ टन रहने का अनुमान है जबकि पिछले सीजन में चीनी का उत्पादन 2.64 करोड़ टन था। घरेलू बाजार में मांग को पूरा करने के लिए सरकार ने अगस्त में खुले बाजार में 16.50 लाख टन चीनी जारी की है। इसके अलावा पीडीएस के तहत बिक्री के लिए 1.85 लाख टन लेवी वाली चीनी जारी की गई थी। सरकार को इस बात की उम्मीद है कि सार्वजनिक क्षेत्र की ट्रेडिंग एजेंसियां अगस्त में 61,371 टन के आयात में से 20,000 टन चीनी बाजार में जारी करेंगी जिससे कुल आपूर्ति 18.55 लाख टन हो जाएगी। पिछले चार महीनों में बाजार में चीनी की आपूर्ति बढ़ाने और इसकी कीमतों को काबू में रखने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। पिछले साल दिसंबर से चीनी के वायदा कारोबार पर रोक लगी हुई है। (ET Hindi)
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