मुंबई- दक्षिण-पश्चिम मानसून में 25 फीसदी कमी के बावजूद सरकार को उम्मीद है कि देश के दक्षिणी और पश्चिमी हिस्सों के महत्वपूर्ण जलाशयों के पानी के इस्तेमाल से दालों, तिलहन तथा कुछ हद तक धान जैसी खरीफ की फसलों की उपज बढ़ाई जा सकती है। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने ईटी से कहा, 'दक्षिण और पश्चिम भारत के जलाशयों में पर्याप्त मात्रा में जल है। आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में दाल, तिलहन और धान की बेहतर पैदावार के लिए इनका इस्तेमाल हो सकता है।' पवार ने कहा, 'जिन भागों में पर्याप्त संख्या में जलाशय हैं वहां अरहर, उड़द, मूंग, सोयाबीन, मूंगफली और धान की बेहतर पैदावार सुनिश्चित करने के लिए संबंधित राज्यों की सरकारों से हम नियमित संपर्क में हैं।' धान के बुआई क्षेत्र में कमी को लेकर सरकार काफी चिंतित है। पिछले साल की समान अवधि की तुलना में इस साल के 12 अगस्त तक धान का बुआई क्षेत्र 57.1 लाख हेक्टेयर घटकर 247.39 लाख हेक्टेयर पर आ गया है। तिलहन का बुआई क्षेत्र सात फीसदी से ज्यादा गिरकर 152.5 लाख हेक्टेयर पर आ गया है। इसी अवधि के दौरान दाल का बुआई क्षेत्र 7.3 फीसदी गिरकर 88.24 लाख हेक्टेयर के स्तर पर आ गया है।
देशभर के 81 जलाशयों की देखरेख करने वाला केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के अनुसार, 18 जून से 30 जुलाई के बीच इन जलाशयों के जलस्तर करीब 15 अरब घनमीटर से बढ़कर 52.79 अरब घनमीटर हो गया है। सीडब्ल्यूसी की मानें तो पिछले साल की तुलना में 18 जून तक इन जलाशयों में पानी का स्तर 50 फीसदी था लेकिन 30 जुलाई तक इन जलाशयों में पिछले साल के मुकाबले 112 फीसदी अधिक जल का भंडारण हुआ। महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों में पर्याप्त संख्या में जलाशय हैं। फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी और नेफेड की इकाई नेशनल स्पॉट एक्सचेंज के एग्री कमोडिटीज विश्लेषक अंजनी सिन्हा ने बताया कि इस साल धान की पैदावार में जबर्दस्त गिरावट आएगी जबकि नहरों के पहुंच वाले इलाकों में दाल और तिलहन का बेहतर उत्पादन होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया, 'देश में धान की कुल पैदावार का 40 फीसदी उत्पादन पंजाब, हरियाणा, बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में होता है। (ET Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें