स्थानीय रबर आधारित उद्योगों के लिए प्राकृतिक रबर का अंतरराष्ट्रीय बाजार बेहद आकर्षक बन गया है।
खासकर टायर निर्माताओं के लिए रबर का आयात तेजी से बढ़ा है। कमोडिटी बोर्ड के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इस साल अप्रैल के दौरान 8175 टन रबर का आयात किया गया था। यह आंकड़ा अप्रैल, 2008 के 4391 टन के आयात से लगभग दोगुना है। आयात में दोगुनी बढ़ोतरी होने के पीछे प्रमुख कारक कीमत है।
अप्रैल में स्थानीय कीमत औसतन 20 रुपये प्रति किलोग्राम तक अधिक हो गई। हालांकि यह अंतर बाद में घट कर 16 रुपये रह गया है। चालू वर्ष के पहले 4 महीनों (जनवरी-अप्रैल) के दौरान कुल आयात 23,972 टन था जो वर्ष 2008 की समान अवधि में 21,959 टन था।
मार्च के बाद से आयात में बढ़ोतरी हुई। इस साल मार्च में 7404 टन रबर का आयात हुआ जबकि पिछले साल मार्च में यह आयात महज 4278 टन था। मार्च के बाद से भारतीय बाजार में तेजी आई है। टायर उद्योग के सूत्रों के मुताबिक मई में आयात तेज गति से बढ़ेगा और यह 15,000 टन को भी पार कर सकता है।
फैक्टरी तक पहुंचने वाले आयातित रबर की प्रति किलोग्राम लागत मौजूदा अंतरराष्ट्रीय बाजार कीमत में 88 रुपये प्रति किलोग्राम है जबकि यही रबर जब स्थानीय बाजारों से खरीदा जाए तो इसकी कीमत 108 रुपये पड़ती है। कीमत में यह बढ़ोतरी स्वाभाविक रूप से और अधिक रबर को भारत की ओर आकर्षित करेगी। 2008-09 के दौरान हर महीने होने वाला आयात औसतन रूप से 6660 टन था।
चालू वित्त वर्ष के दौरान यह आयात बढ़ कर दोगुना हो जाएगा जिसकी 160,000 टन के कुल सालाना आयात में अहम भूमिका होगी। 2008-09 में कुल आयात 79,927 टन था। स्थानीय व्यापारियों को जून तक कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। जून से मानसून शुरू होता है और उत्पादन और अधिक सक्रिय होगा।
मौजूदा वैश्विक बाजार परिदृश्य निश्चित रूप से यह संकेत देता है कि आगामी महीनों में एनआर यानी प्राकृतिक रबर के आयात में और अधिक तेजी आएगी। दूसरी तरफ इस साल अप्रैल में निर्यात में भारी गिरावट आई। आंकड़ों के मुताबिक इस साल अप्रैल में महज 653 टन रबर का निर्यात किया गया जो पिछले साल इसी महीने में 3690 टन था। (BS Hindi)
12 मई 2009
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