मुंबई May 15, 2009
माल्ट उद्योग एवं डिस्टिलरीज ने मंडियों से अपनी जौ खरीद में कमी कर दी है।
इसकी प्रमुख वजह यह है कि कारगिल और ग्लेनकोर समेत कई बहुराष्ट्रीय फर्मों ने इस साल खरीद में दिलचस्पी नहीं दिखाई है जिससे बियर निर्माण के लिए इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की पर्याप्त उपलब्धता पूरे साल बने रहने की संभावना है।
कारोबारी सूत्रों के मुताबिक यूनाइटेड ब्रेवरीज, द माल्ट बारमाल्ट और इम्पीरियल माल्ट जैसी कंपनियों ने अपनी खरीदारी कम कर दी है, क्योंकि पिछले पखवाड़े में जौ की कीमतें 100 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर कर 800 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गई हैं।
श्रीमाधोपुर स्थित ट्रेडिंग फर्म शिव एंटरप्राइजेज के सुरेश वशिष्ठ ने बताया, 'फसल की अच्छी पैदावार की वजह से इस बार बाजार में जौ की आवक में तेजी आई है। निर्यात लगभग नगण्य है, क्योंकि घरेलू बाजार की तुलना में वैश्विक बाजार मंद बना हुआ है। इस वजह से अंतरराष्ट्रीय ट्रेडिंग फर्मों को इस साल जौ की खरीद उपयुक्त नजर नहीं आ रही है।'
देश का कुल जौ उत्पादन इस बार अनुमानित रूप से लगभग 20 लाख टन का है जो पिछले साल की तुलना में 20 फीसदी अधिक है। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश प्रमुख जौ उत्पादक राज्य हैं।
वशिष्ठ ने कहा कि जौ की आवक शुरू होने के बाद शराब निर्माण में लगी फैक्टरियां अप्रैल-जून के दौरान सामान्यतया अपनी जरूरत की 60 फीसदी से अधिक खरीद करती हैं। लेकिन इस साल माल्ट उद्योग पूरे साल जौ की आपूर्ति को लेकर आश्वस्त हैं और वह भी कम कीमतों पर।
उन्होंने अपनी जरूरत की तुलना में सिर्फ 30-40 फीसदी खरीद ही की है। इस सब के अलावा इस साल निर्यात की संभावना भी नहीं दिख रही है। कुल जौ उत्पादन में से लगभग 70 फीसदी माल्ट उद्योगों के लिए जाता है जहां इसका इस्तेमाल बीयर बनाने में किया जाता है। बाकी जौ का इस्तेमाल मवेशियों के चारे के रूप में किया जाता है।
प्रमुख माल उद्योग हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में स्थित हैं। मौजूदा समय में कुल उत्पादन का लगभग 20 फीसदी जौ थोक व्यापारियों और 40 फीसदी जौ किसानों के पास है।इस साल के शुरू में जब मंडियों में जौ की ताजा आवक शुरू हुई तो बिक्री 750 रुपये प्रति क्विंटल पर शुरू हुई जो बाद में बढ़ कर 900 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई।
उस वक्त व्यापारियों को उम्मीद थी कि माल्ट उद्योगों से मांग की बदौलत जौ की कीमत 1000 रुपये प्रति क्विंटल के आंकड़े को पार कर सकती है। लेकिन वैश्विक हालात के सामने आने के बाद अब परिदृश्य बिल्कुल बदल गया है। (BS Hindi)
16 मई 2009
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