नई दिल्ली/मुंबई May 26, 2009
चीनी की बढ़ती कीमतों में अंकुश लगाने के मकसद से वायदा बाजार नियमाक (एफएमसी) ने चीनी के वायदा कारोबार में रोक लगा दी है। यह रोक तत्काल प्रभाव से मंगलवार से लागू हो गई है।
चीनी के वायदा कारोबार में रोक 31 दिसंबर तक के लिए लगाई गई है। एफएमसी ने चीनी वायदा कारोबार में रोक लगाने के पीछे तर्क दिया है कि एक साल के अंदर चीनी की कीमते 45 फीसदी से भी ज्यादा बढ़ चुकी हैं और वर्तमान समय में चीनी के कम उत्पादन को देखते हुए इसके दामों में और भी बढ़ोतरी होने की आशंका थी।
एफएमसी के सदस्य राजीव अग्रवाल के अनुसार चीनी की कीमतें जिस तेजी के साथ बढ़ रही थी उसको देखते हुए चीनी वायदा में रोक लगाना जरुरी हो गया था। अग्रवाल के अनुसार मौजूदा अनुबंधों में भी नई पोजिशन नहीं ली जा सकेंगी लेकिन पहले से जिन कारोबारियों ने चीनी की हेजिंग करके रखी हैं वह अपना माल बेच सकते हैं।
अग्रवाल के अनुसार फिलहाल चीनी वायदा कारोबार में रोक 31 दिसंबर 2009 तक के लिए लगाई गई है। इस बीच चीनी के दामों की समीक्षा की जाएंगी और इसी आधार पर तय होगा कि रोक हटाई जाएं या फिर आगे और बढ़ा दी जाए।
शरद पावर ने एक बार फिर से कृषि मंत्रालय का पदभार संभालते ही इस बात के संकेत दे दिये थे कि चीनी वायदा कारोबार में रोक लगा देनी चाहिए। देश के अंदर चीनी की बढ़ती कीमतों और मांग को पूरा करने के लिए केन्द्र सरकार शुल्क मुक्त चीनी आयात सीमा भी बढ़ा सकती है। इसकी मौजूदा समयसीमा एक अगस्त है।
गौरतलब हो की इस साल चीनी का उत्पादन कम हुआ है। इसलिए देश में चीनी का आयात किया जा रहा है। 2007-08 के सत्र में चीनी का उत्पादन 2.66 करोड़ टन हुआ था जबकि इस बार यह घट कर 1.5 करोड़ टन रह जाने का अनुमान व्यत किया जा रहा है। चीनी सत्र अक्टूबर से लेकर सितबंर तक होता है।
चीनी के अलावा जिन अन्य जिंसों के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध है उनमें तुअर उड़द और चावल प्रमुख हैं जिन वस्तुओं पर वर्ष 2007 के आरंभ में प्रतिबंध लगाया गया था। पिछले दो महीनों में चीनी की कीमतों में पर्याप्त वृध्दि हुई है। प्रमुख शहरों में चीनी 22 से 30 रुपये प्रति किलो के बीच चल रही है।
एक अक्टूबर को कीमतें 18 से 23 रुपये के दायरे में थीं। चीनी उद्योग ने कीमतों में तेजी का कारण चीनी उत्पादन में कमी आने की संभावना और अधिक गन्ना मूल्य को बताया। चालू सत्र में भारत का चीनी उत्पादन 1.5 करोड़ टन निर्धारित किया गया है जो पिछले सत्र में 2.64 करोड़ टन के लगभग था।
सरकार ने चीनी की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए इस वर्ष फरवरी से विभिन्न उपाय किए हैं। घरेलू बाजार में चीनी की आपूर्ति को बढ़ाने के लिए केन्द्र ने चीनी मिलों को शून्य शुल्क पर कच्ची चीनी के आयात को मंजूरी दी है। इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र की ट्रेडिंग फर्मो- एमएमटीसी, पीईसी और एसटीसी को एक अगस्त तक 10 लाख टन साफ चीनी का आयात करने को कहा है।
तेज चाल पर लगाम
31 दिसंबर तक वायदा बाजार नियामक एफएमसी ने चीनी के वायदा कारोबार पर रोक लगाईएक साल के अंदर चीनी की कीमतों में 45 फीसदी बढ़ोतरी बनी वजहजिन कारोबारियों ने हेजिंग कर रखी है, वे बेच सकते हैं अपना माल (BS Hindi)
27 मई 2009
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