भुवनेश्वर May 28, 2009
कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) सभी तरह के कोयले की कीमतों को बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रही है।
दरअसल, नेशनल कोल वेज एग्रीमेंट के तहत 4 लाख से ज्यादा कर्मचारियों के वेतन बढ़ाए जाने से कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) पर 4,000 करोड़ रुपये का सालाना बोझ पड़ रहा है। अतिरिक्त खर्च की भरपाई के लिए कीमतों में बढ़ोतरी सीआईएल की मजबूरी बन गई है।
इस सिलसिले में चल रही बातचीत की पुष्टि करते हुए सीआईएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 'सीआईएल द्वारा कोयले की कीमतों में बढ़ोतरी तय है और यह सभी ग्रेड के कोयले की कीमतों के बारे में होगा।
सीआईएल के निदेशक मंडल ने कोयले की कीमतों में बढ़ोतरी का अधिकार दे दिया है लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला कंपनी नई सरकार से इस बारे में संपर्क में है, जिससे कोयले की कीमतें बढ़ाने पर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में आकलन किया जा सके।'
बहरहाल अधिकारी ने कोयले की कीमतों में कितने प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी, और कब से इसे लागू किया जा सकता है, इसके बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। कर्मचारियों के वेतन बढ़ाने से पड़ने वाले वित्तीय बोझ का बहुत अधिक असर पड़ा है और कंपनी को मुनाफे में रखने के लिए कीमतों में बढ़ोतरी करना बहुत जरूरी हो गया है।
सीआईएल का शुध्द मुनाफा 2008-09 में घटकर केवल 96 करोड़ रुपये रह गया है। यह तब हुआ, जब नए वेतनमान के लागू होने पर जुलाई 2006 से कंपनी को कर्मचारियों के एरियर के रूप में 7,856 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ा। हालांकि सीआईएल को 2008-09 में 5,233.46 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड मुनाफा हुआ था।
वेतन में बढ़ोतरी की वजह से सीआईएल की 33 परियोजनाएं संकट में पड़ गई हैं, जिन पर 11वीं योजना (2007-12) के दौरान काम किया जाना था। साथ ही 283.7 लाख टन अतिरिक्त कोयले के प्रतिवर्ष उत्पादन का लक्ष्य था। वेतन में बढ़ोतरी के बाद से यह भी भय हो गया कि सीआईएल अपने 2011-12 के अनुमानित उत्पादन के लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाएगी, जो 5200 लाख टन अनुमानित है।
ज्ञातव्य है कि 2000 के बाद से सीआईएल ने कोयले की कीमतों में तीन बार बढ़ोतरी की है। पिछली बार दिसंबर 2007 में कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। सीआईएल द्वारा बेचे जाने वाले कोयले की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार की औसत कीमतों से 30-35 प्रतिशत कम रहीं। (BS Hindi)
28 मई 2009
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