कोच्चि May 20, 2009
दक्षिण भारत के प्रीमियर चाय नीलामी केंद्र कोच्चि में चाय की नीलामी फिलहाल शिथिल हो चुका है क्योंकि शत-प्रतिशत कारोबार अब ई-नीलामी के जरिए शुरू हो रही है।
कारोबार में ई-नीलामी के क्रियान्वयन में तकनीकी दिक्कतों की वजह से बाधा आई। नतीजतन कोच्चि में चाय का बहुत बड़ा भंडार तैयार हो गया है जो एक अनुमान के मुताबिक लगभग 65 करोड़ रुपये तक का है।
चाय बोर्ड पूरी तरह कारोबार में इलेक्ट्रॉनिक माध्यम का जरिया अपनाने पर जोर दे रहा है। कारोबारियों के एक वर्ग खासतौर पर छोटे और मझोले कारोबारी नई व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं और उनका कहना है कि इससे केवल चाय कारोबार से जुड़े बड़े खिलाड़ियों को मदद मिलती है।
पहले केवल 5 फीसदी कारोबार नई व्यवस्था के जरिए होता था और बाकी कारोबार परंपरागत तरीके से सार्वजनिक बोली लगाने की व्यवस्था के जरिए होता था। लेकिन चाय बोर्ड उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक शत-प्रतिशत ई-ट्रेडिंग पर जोर दे रहा है।
छोटे कारोबारियों का यह आदेश है कि नई व्यवस्था के जरिए कई मुद्दे और दिक्कतें पैदा हो जाएंगी क्योंकि यह बड़े कारोबारियों और निर्यातकों के लिए उपयुक्त होंगी। छोटे कारोबारियों को ई-ट्रेडिंग के जरिए बिक्री के लिए चाय नहीं मिल पाएगी। चाय कारोबार की व्यवस्था का नियंत्रण कुछ कारोबारियों के हाथों में होगा जिससे सट्टेबाजी के कारोबार के लिए राह तैयार होगी।
कोचीन के चाय खरीदार संघ के अध्यक्ष एम. के. अजीत का कहना है कि नीलामी पूरी तरह से शिथिल हो गया क्योंकि चाय बोर्ड प्राधिकारियों का रवैया बेहतर नहीं था और उनका जोर इस बात पर था कर्ि ई-नीलामी शत प्रतिशत होनी चाहिए। इस तरह उन्होंने 60 साल पुरानी बोली की प्रक्रिया को नजरअंदाज कर दिया।
कोचीन ऑक्शन के चाय खरीदार नीलामी व्यवस्था के आधुनिकीकरण का विरोध नहीं कर रहे हैं। वास्तव में खरीदारों ने महीन चाय की नीलामी में भागीदारी की लेकिन वे बोली से जुड़ी कई भ्रांतियों की वजह से वे इसका परिचालन नहीं कर सके।
उनका कहना है, ' नीलामी प्रक्रिया को पूरी तरह से ई-नीलामी में बदलने के लिए सॉफ्टवेयर से जुड़ी कुछ खास कमियों को दूर करने के लिए जिस तरह के प्रतिनिधित्व की जरूरत थी उसके लिए कोई खास प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसी वजह से संघ ने केरल के उच्च न्यायालय में यह चुनौती दी कि सॉफ्टवेयर आधारित क्रियान्वयन में बहुत सारी कमियां है। इस केस की सुनवाई इस महीने की 21 तारीख को होगी।'
लेकिन चाय बोर्ड के अधिकारी अपने फैसले को लेकर अटल हैं और वे इसी व्यवस्था पर अमल करने का मन बना रहे हैं। इसी वजह से कारोबार रूक गया और चाय का 65 करोड़ का भंडार तैयार हो गया और वह भी ऐसे वक्त में जब चाय की कीमतें बढ़नी शुरू हुई थीं।
ऐसी आशंका है कि अगर यह गतिरोध बरकरार रहता है तो इससे चा की कमी तो होगी ही साथ ही चाय की कीमतों में भी तेजी आएगी। कोच्चि में पिछले 60 सालों से एक हफ्ते में दो बार चाय की नीलामी के जरिए कारोबार होता है।
कारोबार सुस्त
शत प्रतिशत ई-नीलामी की व्यवस्था, लेकिन आ रही हैं तकनीकी दिक्कतेंनीलामी न होने से चाय का भंडारण बढ़ाउच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद चाय बोर्ड का ई नीलामी पर जोर (BS Hindi)
21 मई 2009
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