लखनऊ May 29, 2009
उत्तर प्रदेश में गन्ने का क्षेत्रफल 6 प्रतिशत घटकर वर्ष 2009-10 के पेराई सत्र दौरान 20.2 लाख हेक्टेयर रहने का अनुमान है।
वर्ष 2008-09 में गन्ने का क्षेत्रफल 21.4 लाख हेक्टेयर था, जिसमें इसके पहले साल के 25 लाख हेक्टेयर की तुलना में 15 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
पिछले दो साल से ज्यादा समय से प्रदेश में गन्ने की बुआई के क्षेत्रफल में लगातार कमी आ रही है, जिसकी प्रमुख वजह कीमतों का भुगतान न हो पाना और कीमतों को लेकर भ्रम होना है। बहरहाल पिछले साल फसलों के भुगतान की स्थिति बहुत अच्छी रही, क्योंकि गन्ने की कमी थी। इससे किसानों को मुनाफा हुआ।
उत्तर प्रदेश का वार्षिक गन्ना सर्वेक्षण का काम चल रहा है और इसमें गन्ने के क्षेत्रफल में 8 प्रतिशत की कमी का अनुमान लगाया जा रहा है। सर्वे का काम जुलाई तक पूरा होगा। गन्ना विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि गन्ने के क्षेत्रफल में आई कमी की एक वजह यह है कि इस साल पेंड़ी कम रही।
उन्होंने कहा कि पिछले साल गन्ने का क्षेत्रफल कम था, इसलिए इस साल पेंड़ी भी उसी अनुपात में कम है। पेंड़ी से गन्ना उत्पादन की प्रक्रिया यह है कि किसान एक फसल काटने के बाद उसकी जड़ों को खेत में छोड़ देता है, जिससे दूसरे साल भी गन्ने की फसल तैयार हो जाती है। इससे किसान दूसरे साल भी एक ही बीज से फसल उगाने में सक्षम होता है।
पिछले साल गन्ने का उत्पादन 30 प्रतिशत गिरकर 11 करोड़ टन रह गया था। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (आईएसएमए) के सेक्रेटरी सी बी पटोदिया ने कहा कि भले ही गन्ने के क्षेत्रफल में कमी आई है, लेकिन इस साल गन्ने के उत्पादन में 15-20 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि अगर मानसून समय पर आता है तो इससे फसलों को कम से कम 8-10 प्रतिशत का फायदा होगा। बहरहाल उत्तर प्रदेश की 13 निजी चीनी मिलों की अभी भी गन्ने का बकाया 95 करोड़ रुपये है। राज्य सरकार, डिफॉल्टर मिलों को रिकवरी सर्टिफिकेट जारी कर रही है।
पटोदिया ने कहा कि जून तक गन्ने के एरियर का भुगतान कर दिया जाएगा, जब बैंक मिलों को भुगतान करना शुरू कर देंगे। उत्तर प्रदेश में 132 चीनी मिलें हैं, जिनमें से 17 का संचालन राज्य चीनी निगम करता है, जबकि 22 का संचालन को-ऑपरेटिव और 93 का संचालन निजी मिल मालिक करते हैं। (BS Hiindi)
30 मई 2009
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