27 मई 2009
चीनी वायदा पर रोक दाम घटना मुश्किल
चीनी की कीमतें काबू में करने के लिए सरकार ने इसके वायदा कारोबार पर रोक लगा दी है। सट्टेबाजी की वजह से पिछले कुछ समय में घरलू बाजार में चीनी की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हुई है। वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) ने एक अधिसूचना जारी कर चीनी के वायदा कारोबार पर इस साल 31 दिसंबर तक के लिए रोक लगाई है। एफएमसी के सदस्य राजीव अग्रवाल के मुताबिक चीनी वायदा में अब कोई नया पोजीशन नहीं होगा। महज पहले के किए गए सौदों को निपटाने की अनुमति रहेगी। एक्सचेंज नए वायदा शुरू नहीं कर सकेंगे।नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएमसीई) के सीईओ अनिल मिश्रा के मुताबिक एफएमसी का यह कदम चौंकाने वाला है। उन्होंने कहा कि सप्लाई और मांग में अंतर की वजह से चीनी की कीमतों में तेजी आई है न कि वायदा कारोबार की वजह से। उन्होंने बताया कि हाल ही सरकार ने गेहूं वायदा पर लगी रोक को हटा कर निवेशकों में एक उम्मीद जगाई थी लेकिन चीनी के वायदा पर रोक लगाने से निवेशक का भरोसा वायदा बाजार से कम हो जाएगा। इंडिया शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महानिदेशक शांति लाल जैन ने भी कहा कि चीनी की कीमतों में तेजी का प्रमुख कारण उत्पादन में कमी होना है। वायदा पर रोक से कीमतें कम होने की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में उत्पादन तो कम हुआ ही है साथ ही विश्व में भी उत्पादन करीब 10 फीसदी गिरा है जिससे आयात भी महंगा पड़ रहा है।कार्वी कॉमट्रेड के रिसर्च हेड जी. हरीश के मुताबिक वायदा पर रोक से चीनी की कीमतों में गिरावट नहीं आएगी। दरअसल कंपनियां और करोबारी बढ़ते भाव से निजात पाने के लिए वायदा में हेजिंग कर रहे थे। अब वे ऐसा नहीं कर सकेंगे। हालांकि बॉम्बे शुगर मर्चेट एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक जैन के मुताबिक सट्टेबाजी से बढ़ती कीमतों पर नकेल के लिए ही यह कदम उठाया है। कुछ दिन पहले ही एफएमसी को सरकार की ओर से चीनी वायदा पर नजर रखने का सुझाव दिया गया था। इस साल चीनी का उत्पादन घटने से इसके भाव में करीब 60 फीसदी का इजाफा हो चुका है। देश में इस साल करीब 147 लाख टन चीनी उत्पादन की संभावना है। पिछले साल 163 लाख टन उत्पादन हुआ था। (Business Bhaskar)
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