नई दिल्ली May 19, 2009
भारत से मूंगफली की 50 खेप के आर्डर निरस्त करने के बाद यूरोपीय संघ (ईयू) की टीम अक्टूबर के पहले सप्ताह के दौरान भारत का दौरा करने की योजना बना रही है।
यात्रा के दौरान ईयू टीम यह पुष्टि करेगी कि क्या घरेलू व्यापारी मूंगफली का निर्यात करते समय ईयू मानकों का पालन कर रहे हैं, या नहीं। कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ईयू टीम गुणवत्ता मानकों की जांच करने के लिए अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में भारत के दौरे पर आ रही है।
टीम यह देखेगी कि मानव और पक्षियों के उपभोग के मानकों के मुताबिक उत्पादन इकाइयां काम कर रही हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि टीम गुजरात में कुछ मूंगफली प्रसंस्करण इकाइयों का दौरा करेगी। देश में गुजरात सबसे अधिक मात्रा में मूंगफली का निर्यात करता है।
उल्लेखनीय है कि एफ्लेटाक्सिन की मात्रा अधिक होने के आधार पर यूरोपीय संघ ने पिछले छह महीनों में छिलके और बगैर छिलके वाली मूंगफली की 50 खेप लेने से मना कर दी थी। साथ ही अपनी वेबसाइट्स पर यूरोपीय संघ ने रेड एलर्ट जारी करते हुए निर्यातकों से अपना माल वापस लेने की बात कही थी।
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, कुछ फंगस के चलते जहरीले एफ्लाटाक्सिन की मात्रा पाई जाती है, एक प्रमुख समस्या है, जिसकी वजह से मूंगफली की गुणवत्ता प्रभावित होती है। एफ्लाटाक्सिन की थोड़ी सी मात्रा होने पर भी छोटे जानवरों को कैंसर की शिकायत हो सकती है।
इंडियन ऑयलसीड ऐंड प्रोडयूस एक्सपोर्ट प्रोमोशनल काउंसिल (आईओपीईपीसी) के चेयरमैन संजय शाह ने कहा कि यूरोपीय संघ ने इसके लिए कड़े मानक तैयार किए हैं, जो भारत से चारे के लिए अधिकतम मूंगफली का आयात करता है।
उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए हम एफ्लाटाक्सिन के बारे में संबंधित पक्षों में जागरूकता के लिए अभियान चला रहे हैं और उनसे यूरोपीय संघ के मानकों के मुताबिक गुणवत्ता में सुधार करने को कहा गया है। (BS Hindi)
20 मई 2009
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