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23 मई 2009

तेंदू पत्ते के उत्पादन पर सरकार का जोर

भोपाल May 22, 2009
मध्य प्रदेश की सरकार तेंदू पत्ता की खेती करने की योजना बना रही है।
वैसे मध्य प्रदेश सबसे ज्यादा तेंदू पत्ता उगाने वाला राज्य है और इस पर 200 करोड़ रुपये तक का बीड़ी उद्योग इस पर निर्भर है। इसके अलावा इसके जरिए आदिवासी क्षेत्र के लोगों को मौसम के हिसाब से रोजगार भी मिल जाता है। तेंदू एक जंगली पौधा है और यह केवल जंगल में ही उगता है।
मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज व्यापार एवं विकास सहकारी संघ के अध्यक्ष विश्वास सारंग का कहना है, 'फसल को बढ़ाने के लिए लिए और लोगों को साल भर का रोजगार देने के लिए हम तकनीकों को विकसित करने की योजना बना रहे हैं ताकि वृक्षारोपण के जरिए तेंदू पत्ता ग्रामीण इलाकों में उगाया जाए।
जबलपुर के वन शोध संस्थान के जरिए हम एक शोध कर रहे हैं और इसके जरिए ही हमारी कवायद पूरी होगी। जब पौधे बड़े हो जाते हैं तब पत्ते के चुने जाने के वक्त कटाई का कैसा असर उस पर पड़ता है, इसका अध्ययन भी कराने की कोशिश है। यह देश की पहली शोध है क्योंकि तेंदू पत्ते को एक जंगली पौधा समझा जाता है और इसकी खेती नहीं की जाती।'
राज्य सरकार ने संघ जो एक नोडल एजेंसी है उसके जरिए विकल्पों, मसलन नियमित रूप से बोनस में बढ़ोतरी को सीमित कर दिया है। राज्य सरकार हर साल बोनस में 50 रुपये तक की बढ़ोतरी करती है लेकिन इसकी वजह से खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इसके अलावा तेंदू पत्ता चुनने वाले भी अब कम हो रहे हैं।
हर साल तेंदू पत्ता चुनने वाले दूसरे काम को करना चाहते हैं। इसकी वजह से ही वर्ष 1989 में इनकी संख्या जो 21 लाख थी वह इस साल 10 लाख है। इसके अलावा तेंदू पत्ते की मात्रा वर्ष 1989 के 43.5 लाख के मुकाबले वर्ष 2008 में 15.5 लाख है। इसके अलावा राजस्व में भी कमी का चलन नजर आया और यह 405.15 करोड़ रुपये से वर्ष 2008 में कमाई कम होकर 182.24 करोड़ रुपये तक हो गई।
हालांकि सारंग को यह उम्मीद है कि इस साल वे 310 करोड़ रुपये तक राजस्व बना लेंगे। उनका कहना है, 'हम जून में अपने आंकड़े लेकर आएंगे और हमें यह उम्मीद है कि यह 310 करोड़ रुपये पार कर लेगा।'
मध्य प्रदेश में औसतन तेंदू पत्ते का सालाना उत्पादन लगभग 25 लाख स्टैंडर्ड बोरी है जो देश के कुल तेंदू पत्ते के उत्पादन का लगभग 25 फीसदी है। मध्यप्रदेश में तेंदू पत्ता के एक स्टैंडर्ड बोरी का अर्थ 1000 बंडल है जिसमें से हर एक बंडल में 50 पत्ते होते हैं।
उनका कहना है, 'इस साल बेमौसम बारिश की वजह से पत्ते के तैयार होने की प्रक्रिया बाधित हो गई। नतीजतन उत्पादन में गिरावट हो सकती है। हालांकि हमें उम्मीद है कि हमारा संग्रह 25 लाख स्टैंडर्ड बोरी तक हो सकता है।'
तेंदू पत्ते का कारोबार प्रत्यक्ष तौर पर लगभग 16 लाख परिवारों को मौसमी रोजगार मुहैया कराता है। खासतौर पर आदिवासी क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिलता है। राज्य सरकार के पास 8.70 लाख स्टैंडर्ड बोरी का संग्रह है जबकि पिछले साल के दौरान यह 4.92 लाख था। (BS Hindi)

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