नई दिल्ली 05 24, 2009
पेट्रोलियम मंत्रालय ने डीनेचर्ड एल्कोहल और शीरा पर उत्पाद शुल्क कम करने का प्रस्ताव रखा है, जिससे पेट्रोल में 5 प्रतिशत एथेनॉल की मिलावट योजना को कारगर किया जा सके।
चालू वित्त वर्ष में गन्ने के उत्पादन में कमी होने की वजह से इस योजना पर बुरा प्रभाव पडा है। पेट्रोलियम मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है, 'डीनेचर्ड एल्कोहल पर उत्पाद शुल्क 7.5 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत और शीरे से वर्तमान 10 प्रतिशत उत्पाद शुल्क कम करके 5 प्रतिशत किए जाने का प्रस्ताव रखा गया है।'
उनका कहना है कि यह प्रस्ताव मार्च से ही कैबिनेट की अनुसंशा की प्रतीक्षा में है। डिनेटचर्ड एल्कोहल और शीरे- दोनो का ही इस्तेमाल एथेनॉल तैयार करने में होता है। एथेनॉल को हरित ईंधन के रूप में जाना जाता है और इसकी मिलावट से भारत की पेट्रोलियम के आयात पर निर्भरता आंशिक रूप से कम होगी।
पिछले साल पूरी दुनिया में चीनी की कीमतों में गिरावट आई थी। इसका परिणाम यह हुआ जिन किसानों ने अन्य फसलों का विकल्प अपनाया था, उन्हें ज्यादा मुनाफा हुआ। वर्ष 2008-09 के रबी सत्र के दौरान गन्ने की बुवाई के क्षेत्रफल में 17 प्रतिशत की कमी आई, जिसकी वजह से शीरे के उत्पादन पर बुरा असर पड़ा। अब उम्मीद की जा रही है कि अगले सत्र में गन्ने के उत्पादन में आंशिक रूप से बढ़ोतरी होगी।
अगर 5 प्रतिशत की मिलावट की जाए जो इसके लिए वार्षिक 6,000 लाख लीटर एथेनॉल की जरूरत पड़ेगी। बहरहाल इस साल एथेनॉल की आपूर्ति में 40 प्रतिशत की कमी आई है। इस साल जहां एथेनॉल की उपलब्धता बड़ा मसला रहा, वहीं तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) कर नीति के चलते तमिलनाडु और केरल में मिलावट नहीं कर सकीं।
उद्योग जगत के सूत्रों के मुताबिक, आपूर्ति सुनिश्चित करने के साथ सरकार को यह भी कोशिश करनी चाहिए कि राज्य सरकारें एथेनॉल मिलावट की सुविधा मुहैया कराएं। ओएमसी, चीनी मिलों से 21.50 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से एथेनॉल खरीद रही हैं। यह खरीद टेंडर की प्रक्रिया से हो रही है। कुछ कंपनियां अपने दम पर एथेनॉल उत्पादन की योजना बना रही हैं।
हिंदुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन ने पिछले साल बिहार की बीमार पड़ी दो चीनी मिलों को खरीदा, हालांकि उसके बाद की कोई प्रगति सामने नहीं आई। जनवरी महीने में कंपनी ने आंध्र प्रदेश में 4 चीनी मिलों को खरीदने की योजना टाल दी।
अक्टूबर 2007 में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने अक्टूबर 2008 से 10 प्रतिशत एथेनॉल की मिलावट को संस्तुति दे दी थी। यह आवश्यक रूप से जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों को छोड़कर देश भर में लागू होना था। अब वह समय सीमा बीत चुकी है और अब केवल 5 प्रतिशत की मिलावट ही कार्यरूप ले पाई है। 5 प्रतिशत मिलावट का नियम नवंबर 2007 में लागू किया गया था।
नए प्रस्ताव
पेट्रोलियम मंत्रालय ने डीनेचर्ड एल्कोहल पर उत्पाद शुल्क 7.5 प्रतिशत से घटा कर 5 प्रतिशत करने और शीरे पर शुल्क 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा।प्रमुख उद्देश्य है कि पेट्रोल में 5 प्रतिशत एथेनॉल मिलाने की योजना को कार्यरूप दिया जा सके। (BS Hindi)
26 मई 2009
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