कोच्चि May 21, 2009
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कालीमिर्च की कीमतें नया स्तर बनाएंगी।
बाजार के परिदृश्य से पता चलता है कि कालीमिर्च के बड़े उत्पादक देश, जैसे इंडोनेशिया और वियतनाम में कीमतें उच्च स्तर पर हैं। वियतनाम ने एएसटीए ग्रेड की कीमतें बढ़ाकर 2150 डॉलर प्रति टन कर दी है।
वहीं इंडोनेशिया में कीमतें 2350 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई हैं। ब्राजील में स्टॉक की कमी की वजह से कीमतें 2200 डॉलर प्रति टन हो गई हैं। वियतनाम और इंडोनेशिया में भारत में वायदा कारोबार की कीमतों के आधार पर दामों में बढ़ोतरी हो रही है। वर्तमान में भारतीय बाजार में जो बढ़त हो रही है उसका स्पष्ट रूप से असर पड़ रहा है और वैश्विक बाजार में कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है।
रिपोर्टों के मुताबिक इंडोनेशिया और ब्राजील में बहुत ज्यादा स्टॉक नहीं है और दूसरी छमाही के दौरान- खासकर जुलाई से सितंबर के बीच, आपूर्ति में मुश्किलें आएंगी। ब्राजील की कालीमिर्च के बाजार में कोई खास दखल अभी नहीं है, क्योंकि वह अगस्त महीने में तैयार होने वाली नई फसल की प्रतीक्षा में है।
इंडोनेशिया में भी बड़ी मात्रा में स्टॉक खाली किया जा चुका है। रिपोर्टों में कहा गया है कि वियतनाम इस माह के अंत तक 60,000 टन की लदान करने वाला है और भारत में भी घरेलू खपत को देखते हुए बड़े पैमाने पर निर्यात की गुंजाइश नहीं है। इस तरह से इन स्थितियों को देखकर स्पष्ट होता है कि वैश्विक स्तर पर कीमतों में मजबूती के संकेत हैं।
सामान्यतया भारतीय बाजार में कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार की तुलना में बहुत ज्यादा होती हैं और यह करीब 2750 डॉलर प्रति टन के करीब है। स्थानीय मांग अधिक होने से भारतीय वायदा कारोबार में कीमतों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में कीमतों में और अधिक बढ़ोतरी होगी। भारत के बाजारों में कीमतों में बढ़ोतरी की प्रमुख वजह यह है कि यहां पर मानसून की स्थिति अनुकूल नहीं रही।
बहरहाल, कालीमिर्च के आयात में बढ़ोतरी हुई है और इसके प्रमुख कारोबारियों के मुताबिक मूल्य वर्धित प्रसंस्करणकर्ताओं द्वारा जून महीने तक 3000 टन कालीमिर्च की लदान की गई है। मुख्य निर्यातकों के मुताबिक आयातित कालीमिर्च घरेलू बाजार में आएगी। स्थानीय बाजारों में इससे संकट की स्थिति हो सकती है क्योंकि आयातित कालीमिर्च उत्तर भारत के बाजारों में उपलब्ध है।
कीमतों के लिहाज से देखें तो इससे भारतीय बाजारों में स्थिरता रह सकती है। लेकिन इससे भी अहम यह है कि कालीमिर्च की वैश्विक कीमतों में मजबूती आ रही है और आने वाले महीनों में इसका तीखापन और बढ़ सकता है।
कीमतें कम होने की उम्मीद एक ही है कि यूरोप और अमेरिका के बाजारों में इसकी मांग में कमी आई है। कोच्चि स्थित एक प्रमुख निर्यातक ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि अगर 3-4 बड़े वैश्विक कारोबारी बड़ी मात्रा में खरीद करते हैं तो इससे कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना और बढ़ जाएगी। (BS Hindi)
22 मई 2009
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