शिमला May 20, 2009
बाजार में पहले से ही पकड़ बनाने के लिए संघर्ष कर रही हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा चाय पर मंदी का बुरा असर पडा है।
चाय की बागवानी करने वाले लोगों के अनुमानों के मुताबिक पिछले कुछ महीनों के दौरान कांगड़ा चाय की मांग में मंदी के चलते 30-40 प्रतिशत की कमी आई है।
अंग्रेजों ने कांगड़ा चाय की खेती 1882 में शुरू की थी और पालमपुर के आसपास के इलाकों में स्थिल कांगड़ा घाटी में इसकी खेती की जाती है। कांगड़ा चाय में रंग नहीं आता, लेकिन इसके स्वाद के चलते इसकी अलग पहचान है।
पालमपुर के आसपास के 2060 हेक्टेयर क्षेत्रफल में इसकी खेती की जाती है। इसका उत्पादन भी बहुत कम है। लेकिन कुछ साल पहले देश के कुछ इलाकों में चाय के शौकीनों में इसकी मांग में बढ़ोतरी हुई थी। यह चाय पड़ोसी देश अफगानिस्तान में बहुत लोकप्रिय है।
एशिया के अन्य इलाकों में चाय सस्ती होने और बाजार में सस्ती चाय की उपलब्धता की वजह से हाल के वर्षों में इसके उत्पादन में खासी कमी आई है। (BS Hindi)
21 मई 2009
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