मुंबई : पिछले कुछ दिनों में डॉलर के मुकाबले रुपए में आई मजबूती का असर गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों (ईटीएफ) के रिटर्न पर पड़ा है। चालू वित्त वर्ष में अभी तक (अप्रैल से 19 मई तक) गोल्ड ईटीएफ का रिटर्न निगेटिव रहा है। इसमें रुपए की मजबूती का बड़ा हाथ है। निवेश की गई रकम का मूल्य जब घटने लगता है तो उसे निगेटिव रिटर्न कहा जाता है। चालू वित्त वर्ष यानी 2009-10 में अभी तक बेंचमार्क, कोटक और क्वांटम सहित पांच गोल्ड ईटीएफ ने 6 फीसदी से अधिक निगेटिव रिटर्न दिए हैं।
पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इन फंडों ने 3 फीसदी से अधिक पॉजिटिव रिटर्न दिए थे। 6 फीसदी निगेटिव रिटर्न का बड़ा हिस्सा (4.4 फीसदी) चालू हफ्ते के शुरुआती दो कारोबारी दिनों में दर्ज किया गया है। पिछले हफ्ते के रुपए के बंद स्तर के मुकाबले इस हफ्ते के शुरुआती दो दिनों में उसमें 3 फीसदी से अधिक की मजबूती आई है। मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 47.78 के स्तर पर बंद हुआ था। आने वाले दिनों में रुपए में और मजबूती आने की संभावना को देखते हुए यह सवाल पैदा हुआ है कि क्या निवेशकों को गोल्ड ईटीएफ से अपनी रकम निकाल लेनी चाहिए और उसे शेयरों में लगाना चाहिए। इस हफ्ते की शुरुआत में शेयरों में भारी तेजी आई थी। हालांकि, निवेश सलाहकारों, विश्लेषकों और ईटीएफ मैनेजरों का मानना है कि निवेशकों को गोल्ड ईटीएफ से रकम निकालने के बजाय उसमें बने रहना चाहिए, क्योंकि गोल्ड ईटीएफ किसी भी निवेशक के पोर्टफोलियो को संतुलित करने का काम करता है। सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर (सीएफपी)गौरव मशरुवाला ने कहा, 'मैं यह नहीं बता सकता कि आने वाले समय में रुपए में और कितनी मजबूती आएगी, लेकिन मेरा मानना है कि निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो का 10-20 फीसदी हिस्सा सोना में रखना चाहिए।' उन्होंने कहा, 'मैं अपने ग्राहकों को सोना में निवेश खत्म करने की सलाह नहीं दूंगा, क्योंकि सोना और शेयरों या कर्ज योजनाओं के बीच कोई संबंध नहीं है। यदि सोने की कीमतों में गिरावट आती है तो निवेशकों को इसे बेचने के बजाय इसकी खरीदारी करनी चाहिए।' कोटक एएमसी के सीईओ संदेश किरकिरे ने कहा, 'लंबी अवधि में सोने की कीमतों में बढ़ोतरी की अच्छी संभावना है, क्योंकि डॉलर में कमजोरी और मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी की आशंका है। कई देशों की सरकारें मुद्रा की सप्लाई बढ़ा रही हैं, जिससे मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी होगी।' कुछ विश्लेषक अपने ग्राहकों को एनएसई और एमसीएक्स-एसएक्स जैसे करेंसी फ्यूचर्स एक्सचेंजों में रुपए में तेजी के सौदे (लॉन्ग) कर सोने में अपने निवेश को हेज करने की सलाह दे रहे हैं। जियोजित बीएनपी पारिबा फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड एलेक्स मैथ्यू ने कहा, 'गोल्ड ईटीएफ के निवेशकों को रुपए की कीमतों में उतार-चढ़ाव के जोखिम का सामना करना पड़ता है, लेकिन करेंसी फ्यूचर्स एक्सचेंजों में हेजिंग के जरिए इस जोखिम से बचा जा सकता है। करेंसी फ्यूचर्स भारत में ज्यादा पुराना नहीं है, लेकिन छोटे निवेशक इसके बारे में तेजी से जागरूक हो रहे हैं।' घरेलू गोल्ड ईटीएफ के रिटर्न पर रुपए की मजबूती के असर का अंदाजा एसपीडीआर गोल्ड शेयर्स के प्रदर्शन से लगाया जा सकता है। एसपीडीआर गोल्ड शेयर्स दुनिया का सबसे बड़ा ईटीएफ है। एसपीडीआर गोल्ड शेयर्स के रिटर्न में पिछले साल की समान अवधि में दर्ज 3.6 फीसदी पॉजिटिव रिटर्न के मुकाबले महज 0.02 फीसदी की कमी आई है। पिछले साल 1 अप्रैल से 19 मई के बीच जहां डॉलर के मुकाबले रुपए में 6.6 फीसदी की कमजोरी आई थी, वहीं इस साल इस अवधि में रुपए में 5.6 फीसदी की मजबूती आई है। (ET Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें