मुंबई May 19, 2009
कच्चे माल की बढ़ती कीमतों, उद्योगों से घटती मांग और मार्जिन के दबाव की वजह से कच्चे लोहे के उत्पादकों ने उत्पादन क्षमता को फिर से 10 फीसदी तक घटा दिया है।
इस साल जनवरी में घरेलू कच्चा लोहा के उत्पादकों ने अपनी क्षमता को 50 फीसदी तक कम कर दिया। हालांकि अर्थव्यवस्था के सुधार के संकेतों की वजह से अप्रैल में इसे आधा कर दिया गया क्योंकि स्टील उद्योग की ओर से मांग में बढ़त हुई थी।
देश में कच्चे लोहे के संगठित क्षेत्र के सबसे बड़े उत्पादर्नकत्ता केआईसी मेटालिक्स लिमिटेड के उपाध्यक्ष (फाइनैंस) एन. महापात्रा का कहना है कि स्टील उद्योग जहां कच्चे लोहे की मांग सबसे ज्यादा होती है वहां भी फिर से अनिश्चितता का माहौल बन गया है।
ऐसे में पांच महीनों के दौरान दूसरी बार कच्चे लोहे के उत्पादकों का भाग्य अब अंधेरे से भर आया है। स्टील निमार्ण के लिए कच्चे माल को तैयार करने वाले कई बड़े उत्पादनकर्ताओं ने अपनी क्षमता को 5-10 फीसदी तक कम किया है और मौजूदा परिचालन क्षमता 60-65 फीसदी तक है।
लौह अयस्क और कोक की कीमतों में लगभग 200 रुपये प्रति टन तक की बढ़ोतरी हुई है और 1 मई से यह क्रमश: 500-800 रुपये प्रति टन हो गया है। ऐसे में कच्चा लोहा उत्पादकों पर अपने परिचालन मार्जिन के लिए नए दबाव की चुनौती झेलनी पड़ रही है।
सौराष्ट्र फेरस जैसी कंपनियां कच्चे लोहे को 200-500 रुपये प्रति टन के हिसाब से बेच रही हैं। गुजरात में कच्चा लोहा के उत्पादक सौराष्ट्र फेरस के वरिष्ठ अधिकारी नवीन सिन्हा का कहना है, 'हम अपने संयंत्र को बंद नहीं कर सकते क्योंकि उन्हें फिर से शुरू करने में भी बहुत लागत लगती है और उत्पादन की मात्रा का नुकसान भी होता है।
दूसरी बात यह है कि संयंत्र को शुरू करने के लिए निर्माण से पहले की तैयारी के लिए भी 15 दिनों की जरूरत होती है जो व्यावहारिक नहीं है।' मौजूदा लौह अयस्क की कीमतें 3200 रुपये प्रति टन है और कोक की कीमत 15,500 रुपये प्रति टन है, इस लिहाज से कच्चे लोहे के उत्पादन की लागत मौजूदा बाजार के 15,800 रुपये प्रति टन के मुकाबले लगभग 16,000 रुपये प्रति टन है।
1 मई से कच्चे लोहे की कीमतों में 500 रुपये प्रति टन की कमी आई है। प्रत्येक टन कच्चे लोहे के उत्पादन के लिए 700-800 किलोग्राम कोक और 1.65 टन लौह अयस्क की जरूरत होती है। उनका कहना है, 'हम वैश्विक आर्थिक माहौल में सुधार का इंतजार कर रहे हैं और यह उम्मीद है कि भविष्य में इसमें सुधार होगा।'
सिन्हा का कहना है कि आवासीय और बुनियादी ढ़ांचे में सार्वजनिक और निजी निवेश से स्टील की मांग बढ़ेगी उसके बाद स्टील के निर्माण में काम आने वाले कच्चे लोहे की मांग भी बढ़ेगी। कच्चे लोहे के उत्पादन में सालाना आधार पर 50.3 फीसदी तक की गिरावट आई और इस साल मार्च में यह 13 लाख टन हो गया।
स्टील निर्माण के कच्चे माल का उत्पादन पहली तिमाही के दौरान 45 लाख टन रिकॉर्ड किया गया और पिछले साल इसी अवधि में इसमें 40.6 फीसदी तक की गिरावट आई। (BS Hindi)
20 मई 2009
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