23 मई 2009
कपास के आयात में हो सकता है 60 फीसदी का इजाफा
मुंबई- देश में कपास की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के कारण मौजूदा कपास साल (अक्टूबर 08-सितंबर 09) में वैश्विक बाजार से सस्ते कपास का आयात बढ़ेगा। उम्मीद है कि इस साल आयात में करीब 30-60 फीसदी का इजाफा होगा। दरअसल, सरकार द्वारा कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की कीमतें घरेलू बाजार की तुलना में कुछ कम है। ऐसे में ज्यादातर कारोबारी आयातित कपास को ही तवज्जो दे रहे हैं। इंडस्ट्री के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले साल की 6 लाख गांठों की तुलना में इस साल भारत 8-10 लाख गांठें आयात कर सकता है। प्रत्येक गांठ 170 किलो की होती है। भारतीय कपड़ा उद्योगों के परिसंघ (सीआईटीआई) के महासचिव डी के नायर का मानना है कि मौजूदा साल में आयातित कपास का आंकड़ा 10 लाख गांठों तक पहुंच सकता है। नायर ने कहा, 'इस साल आयात में 4-5 लाख गांठें लंबे रेशे वाले कपास की और करीब 6 लाख गांठें मझोले एवं छोटे रेशे वाले कपास की होंगी।' कॉटन टेक्सटाइल और एलॉयड प्रोडक्ट्स रिसर्च फाउंडेशन के चेयरमैन और कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के पूर्व प्रेसिडेंट के एफ झुनझुनवाला ने कहा कि इस साल भारत 8 लाख गांठों का आयात करेगा। उन्होंने कहा, 'अब तक देश पांच लाख गांठों का आयात कर चुका है और अतिरिक्त तीन लाख गांठों का आयात 30 सितंबर तक हो जाएगा।' उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 40 फीसदी बढ़ोतरी से वैश्विक बाजार की तुलना में घरेलू बाजार में कपास की कीमत ज्यादा है। पिछले साल की तुलना में इस साल मझोले-लंबे रेशे वाले कपास के दाम 31 फीसदी यानी 2,500 रुपए और लंबे रेशे वाले कपास की कीमत 48 फीसदी यानी 3,000 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ गए हैं। झुनझुनवाला ने कहा, 'वैश्विक बाजार में कपास के दाम स्थानीय बाजार की तुलना में 1.5-2 फीसदी तक कम है, इसलिए आयात में बढ़ोतरी हो रही है।' शंकर 6 के नाम से मशहूर 28-29 मिमी किस्म के कपास की कीमत घरेलू बाजार में 21,500-22,500 रुपए प्रति कैंडी (एक कैंडी यानी 356 किलो) के बीच है। वहीं, वैश्विक बाजार में कपास के दाम घरेलू बाजार की तुलना में प्रति पौंड 55 सेंट कम हैं। आमतौर पर भारत लंबे रेशे वाले कपास की 5-6 लाख गांठें आयात करता है। भारत में इस किस्म के कपास का उत्पादन कम होता है। आशंका है कि वैश्विक संकट की वजह से चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया और हांगकांग से मांग में कमी आ सकती है और निर्यात 30 फीसदी तक घट सकती है। इस साल भारत 5 लाख गांठों से अधिक निर्यात नहीं कर सकता, जबकि पिछले साल 8.5 लाख गांठें निर्यात हुई थी। (ET Hindi)
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