मुंबई May 19, 2009
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत होने की वजह से दाल का आयात सस्ता हो सकता है।
ऐसे में संभावना है कि घरेलू बाजार में कीमतें नरम हो सकती है। मौजूदा महीने में पहले से ही दाल की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी बरकरार रही है।
बाजार के कारोबारी, आयातक और जिंस विशेषज्ञों का कहना है कि रुपये के मजबूत होने की संभावना आगे भी है और अगले 4-6 हफ्ते में कीमतों में गिरावट की संभावना है। अगर देश के उत्पादन में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले 1.4-1.5 करोड़ टन दाल, आयात की तुलना करें तो यह बहुत दिनों से स्थिर रहा है और यह 30 लाख टन है।
दाल आयातक संघ के अध्यक्ष के. सी. भारतिया का कहना है, 'रुपये के मजबूत होने से उसका असर देश के दाल बाजार पर पड़ेगा। आयातक ज्यादा मात्रा में आयात करने के लिए प्रोत्साहित होंगे। नतीजतन दाल की घरेलू कीमतों में गिरावट होगी।'
मौजूदा वक्त में स्थानीय अरहर और मसूर का हाजिर भाव लगभग 3,800-4,000 प्रति क्विंटल है वहीं मूंग लगभग 4,100 रुपये प्रति क्विंटल है। दूसरी ओर चना और उड़द दाल का कारोबार क्रमश: 2,200 रुपये और 3,000 रुपये पर हुआ।
मध्य प्रदेश दाल उद्योग महासंघ के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल का कहना है, 'रुपये में मजबूती आने की वजह से घरेलू बाजार में लगातार दाल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई और मई में इस पर नियंत्रण किया गया। पिछले 15 दिनों के दौरान दाल की दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। सस्ते आयात की वजह से घरेलू कीमतें तो कम हो ही जाएंगी। मुझे लगता है कि यह संभावना है कि घरेलू बाजार में लगभग 200 रुपये-300 रुपये प्रति क्विंटल तक गिरावट के अनुमान हैं।'
वह आगे कहते हैं कि रुपया 46 के स्तर से नीचे नहीं जाएगा। कारोबारियों का कहना है कि ज्यादातर बुकिंग 50 रुपये प्रति डॉलर पर हुई अगर रुपये 47 के स्तर पर होता तो आयात 1,500-2,400 रुपये प्रति टन सस्ता होता।
इंदौर के दाल कारोबारी राहुल वोहरा का कहना है, 'आयात के ज्यादा सौदे होने वाले हैं ऐसे में 4 फीसदी मजबूती से आयात की लागत में काफी अंतर हो सकता है। मिसाल के तौर पर अरहर की आयात दर 805 डॉलर प्रति टन है। रुपया अगर 50 और 48 के स्तर पर भी होता है तो लागत का अंतर 1,600 रुपये प्रति टन होगा।' (BS Hindi)
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