30 मई 2009
गिरावट का असर वायदा कारोबार पर भी
निर्यातकों की मांग घटने से चालू महीने में कैस्टर सीड की कीमतों में चार फीसदी की गिरावट आ गई है। गुजरात की दीसा मंडी में इसके भाव 475-480 रुपये प्रति 20 किलो रह गये हैं। हाजिर बाजार में आई गिरावट का असर वायदा कारोबार पर भी देखा गया। एनसीडीईएक्स पर निवेशकों की बिकवाली से जून महीने के वायदा अनुबंध में पांच फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि चालू सीजन में कैस्टर सीड की पैदावार में पिछले साल के मुकाबले बढ़ोतरी हुई है। फिर भी उत्पादक मंडियों में आवक घटी है। साथ ही स्टॉकिस्टों की बिकवाली भी कम आ रही है। ऐसे में मौजूदा भावों में गिरावट की उम्मीद नहीं है।भाव में गिरावटकैस्टर सीड के व्यापारी भरत भाई ने बताया कि निर्यातकों की कमजोर मांग से चालू महीने में कीमतों में गिरावट देखने को मिली है। महीने के शुरू में दीसा मंडी में इसके भाव 490 रुपये प्रति 20 किलो थे जबकि शुक्रवार को भाव घटकर 475-480 रुपये प्रति 20 किलो रह गये। केस्टर तेल के भाव भी घटकर इस दौरान घटकर 495 रुपये प्रति 10 किलो (कांडला पोर्ट पर) रह गये। राजस्थान की मंडियों में कैस्टर सीड के भाव घटकर इस दौरान 450-455 रुपये प्रति 20 किलो रह गये। अब उत्पादक मंडियों में आवक घट गई है और स्टॉकिस्टों की बिकवाली भी पहले की तुलना में घटी है। गुजरात की मंडियों में आवक घटकर इस समय 42 से 45 हजार बोरी (एक बोरी 75 किलो) रह गई है। जबकि राजस्थान की मंडियों में आवक घटकर दस हजार बोरी की रह गई है। जून मध्य तक उत्पादक मंडियों में आवक रहेगी। इसके बाद आवक न के बराबर रह जायेगी। ऐसे में मौजूदा भावों में और गिरावट की उम्मीद नहीं है।वायदा में भाव घटेएनसीडीईएक्स पर जून महीने के वायदा अनुबंध में चालू महीने में पांच फीसदी की गिरावट आकर शुक्रवार को भाव 483 रुपये प्रति 20 किलो रह गये। चार जून को वायदा में इसके भाव 508.70 रुपये प्रति 20 किलो थे। जून महीने में 3860 लॉट के सौदे खड़े हुए हैं। घट सकता है निर्यात गांधी धाम स्थित मैसर्स एस सी केमिकल के डायरेक्टर कुशल राज पारिख ने बताया कि पिछले वर्ष (जनवरी से दिसंबर) तक भारत से केस्टर तेल का तीन लाख टन का रिकार्ड निर्यात हुआ था। लेकिन आर्थिक मंद गति के कारण चालू वर्ष में निर्यात में कमी आने की आशंका है। चालू वर्ष के अप्रैल महीने में इसका निर्यात 23,500 टन का हुआ है जो कि मार्च के मुकाबले कम है। मार्च महीने में देश से 26,000 टन कैस्टर तेल का निर्यात हुआ था। उन्होंने बताया कि चालू महीने में निर्यात घटकर 20,000 टन ही होने की उम्मीद है। कैस्टर तेल में अमेरिका, यूरोप और चीन की भारत से अच्छी मांग रहती है। चालू वर्ष में चीन की मांग तो बराबर है लेकिन यूरोप की मांग पिछले साल के मुकाबले कम है। अमेरिका की मांग में इस साल सबसे ज्यादा गिरावट देखी जा रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कैस्टर तेल के भाव 970 डॉलर प्रति टन एफओबी चल रहे हैं। कुशल राज पारिख ने बताया कि कैस्टर तेल की कीमतें निर्यात मांग पर निर्भर करती हैं। चालू वर्ष में कैस्टर तेल का उत्पादन साढ़े चार लाख टन होने की संभावना है। पिछले साल चूंकि रिकार्ड निर्यात हुआ था लेकिन आर्थिक मंदी गति का असर चालू साल में इसके निर्यात पर पड़ रहा है। पिछले साल औसतन हर महीने 25,000 टन कैस्टर तेल का निर्यात हुआ था लेकिन चालू वर्ष के पहले चार महीनों में एक लाख टन से कम निर्यात हुआ है। पैदावार का हाल कृषि मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक वर्ष 2008-09 में देश में कैस्टर सीड की पैदावार 11.24 लाख टन होने की संभावना है जोकि पिछले साल के मुकाबले ज्यादा है। पिछले साल देश में कैस्टर सीड की 10.53 लाख टन की पैदावार हुई थी। उधर सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने 11.80 लाख टन पैदावार होने का अनुमान लगाया है। कैस्टर सीड का उत्पादन मुख्यत: गुजरात, राजस्थान और आंध्रप्रदेश में होता है। नई फसल की आवक जनवरी महीने में शुरू होती है तथा जून तक आवक रहती है। (Business Bhaskar...R S Rana)
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