मुंबई May 20, 2009
वैश्विक आर्थिक संकट से प्रभावित होने के बाद उपभोक्ताओं की खरीद क्षमता कम हो गई है।
अब लोगों ने लग्जरी उत्पादों की खरीद कम की है, जिसमें आभूषण भी शामिल है। इसके चलते भारत में सोने की मांग में चालू कैलेंडर साल की पहली तिमाही में 83 प्रतिशत की कमी आई है।
बुधवार को जारी वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में सोने की मांग गिरकर 17.7 टन रही, जो पिछले साल की समान अवधि में 107.2 टन थी। यह लगातार दूसरा साल है, जब पहली तिमाही के दौरान भारी गिरावट दर्ज की गई है।
इसके पहले वर्ष 2007 में पहली तिमाही में सोने की मांग 202.2 टन थी। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल को उम्मीद है कि इस साल की अंतिम तिमाही में मांग में सुधार आएगी। सोने के आभूषणों की मांग में कमी की एक वजह यह रही कि इसकी स्थानीय बाजार के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें बहुत ज्यादा रहीं। इसके साथ ही घरेलू आर्थिक माहौल भी सकारात्मक नहीं रहा।
भारत में आभूषणों की कुल बिक्री 34.7 टन की रही, वहीं खुदरा निवेशकों ने 17 टन सोना बेचा। इस तरह से सोने की शुध्द बिक्री 17.7 टन रही। बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत करते हुए इंडियन सब कांटिनेंट के प्रबंध निदेशक अजय मित्रा ने कहा, 'खुदरा निवेशकों ने आर्थिक संकट के दौर में स्टॉक मार्केट में हुए नुकसान की भरपाई के लिए सोने की बिकवाली की। उम्मीद की जा रही है कि इस कैलेंडर वर्ष के अंत तक वे फिर बाजार में वापस आएंगे। इस बात का संकेत इक्विटी और मुद्रा बाजार भी दे रहा है।'
वैश्विक आर्थिक मंदी को उपभोक्ताओं की कमी का कारण मानते हुए मित्रा ने कहा कि खरीदार अधिक कीमतों की वजह से बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं हुए हैं। एक बार अगर वित्तीय बाजार उबर जाता है, उपभोक्ताओं की धारणा बदलेगी। उसके बाद खरीदारी देखने को मिलेगी। उन्होंने कहा कि ऐसा होने में अभी कम से कम दो तिमाही का समय और लगेगा।
भारत परंपरागत रूप से दुनिया का सबसे बड़ा सोने का बाजार रहा है, जिसकी वजह से अगर यहां मांग गिरती है तो चिंता का विषय है। हालांकि पहली तिमाही में मांग गिरने के आधार पर पूरे साल की समीक्षा नहीं की जा सकती। इस तरह से अगर देखें तो पिछले दो साल में पहली तिमाही के दौरान मांग में कमी रही है।
आल इंडिया जेम्स ऐंड ज्वेलरी ट्रेड फेडरेशन के अध्यक्ष अशोक मीनावाला का कहना है कि अगली तिमाही के दौरान स्थिति में सुधार आती है। हालांकि भविष्य में महंगाई दर बढ़ने के डर और वित्तीय अनिश्चितता के चलते निवेशकों ने सोने पर विश्वास जारी रखा। इस दौरान सोने की वैश्विक मांग में 38 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
निवेश के लिहाज से सोने की मांग बढ़ने पर एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ), सिक्के और बार सबसे ज्यादा बिके। इसकी बिक्री बढ़कर 596 टन पर पहुंच गई, जो पिछले साल की तुलना में 248 प्रतिशत ज्यादा है।
इसके साथ ही सिक्के और बार के खुदरा निवेश में भी 33 प्रतिशत की बढ़त हुई, जो 131 टन रहा। स्विटजरलैंड में बार और सिक्के की बिक्री में 437 प्रतिशत की बढ़त और अमेरिका में 216 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई।
मंदी ने बढ़ाया सोने का संकट
2009 की पहली तिमाही में सोने की मांग घटकर 17.7 टन रह गईसाल की चौथी तिमाही में मांग बढ़ने के आसारपूरी दुनिया में बढ़ा सिक्कों और गोल्ड बार में निवेश (BS Hindi)
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