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16 मई 2009

संरक्षण शुल्क के लिए 13 उत्पादों की जांच शुरू

नई दिल्ली May 15, 2009
भारतीय अर्थव्यवस्था के वृध्दि दर अभी भी विश्व में दूसरे स्थान पर है और यह विदेशी उत्पादकों का पसंदीदा जगह बन गई है।
परिणामस्वरूप, कुछ खास उत्पादों के आयात में अच्छी खासी बढ़ोतरी हो रही है। घरेलू उत्पादकों ने विदेशी उत्पादों के आयात पर अंकुश लगाने के लिए सरकार से संरक्षण शुल्क लगाने की गुहार लगाई।
संरक्षण शुल्क आपातकालीन आयात शुल्क है। इसके बाद वित्त मंत्रालय के अधीन काम करने वाले डायरेक्ट जनरल ऑफ सेफगार्ड्स (डीजीएस) ने 13 उत्पादों की जांच शुरू कर दी। महत्वपूर्ण बात यह है कि इन आयातित उत्पादों के अंतिम उपभोक्ताओं ने इन शुल्कों का विरोध करना शुरू कर दिया है। कुछेक तो कानून का सहारा ले भी रहे हैं।
डीजीएस ने 11 उत्पादों पर 200 दिनों के लिए अस्थायी संरक्षण शुल्क लगाने का सुझाव दिया जिसमें हॉट रोल्ड कॉयल (25 फीसदी) भी शामिल है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज ऐंड कस्टम्स ने सोडा ऐश (चीन से आने वाले पर 20 प्रतिशत), एल्युमीनियम फ्लैट रोल्ड उत्पादों (21 प्रतिशत) और फ्थैलिक एनहाइड्राइड पर (25 फीसदी) का शुल्क लगाया।
वीडियोकॉन समूह के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत ने कहा, 'हम सरकार से सोडा ऐश पर से संरक्षण शुल्क हटाने की अपील करेंगे। मुझे भरोसा है कि सरकार हमारी बात सुनेगी। इस उत्पाद पर संरक्षण शुल्क लगाने की जांच करते समय हमारे विचार नहीं लिए गए।' वीडियोकॉन पिक्चर टयूब बनाती है जिसके लिए सोडा ऐश एक महत्वपूर्ण कच्चा माल है।
छोटे और मझोले उद्योग भी संरक्षण शुल्क को लेकर काफी चिंतित हैं क्योंकि इनमें से अधिकांश वैसे उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं जिन पर अतिरिक्त आयात शुल्क लगाया गया है। लुधियाना स्थित एपेक्स चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष पी डी र्श्मा ने कहा, 'हमलोगों के पास संरक्षण शुल्क लगवाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने के संसाधन नहीं है।
हॉट रोल्ड कॉयल पर लगाए गए संरक्षण शुल्क की वजह से छोटी फैक्टरियां बुरी तरह प्रभावित होंगी क्यों इससे कीमतों में बढ़ोतरी होगी। वास्तव में, इस्पात की कीमतें मई के बाद पहले ही 1,000 रुपये प्रति टन बढ़ चुकी है, वह भी संरक्षण शुल्क लगाए जाने से पहले।'
संरक्षण शुल्क के लिए जांच प्रक्रिया में जुटे सरकारी अधिकारियों ने माना कि इन आयातित उत्पादों के इस्तेमालकर्ता बुरी तरह प्रभावित होंगे लेकिन उन्होंने कहा कि नियम को अनदेखा नहीं किया जा सकता। इस जांच प्रक्रिया से जुड़े एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'संरक्षण की प्रक्रिया पारदर्शी है।
उदाहरण के लिए, अस्थायी संरक्षण शुल्क के लिए जांच करने के दौरान अंतिम उपभोक्ताओं का विचार लिया जाना अनिवार्य नहीं है। लेकिन डीजीएस ने उनके भी विचार मांगे। उन्हें यह समझना चाहिए कि विचार मांगे जाने का मतलब यह नहीं है कि डीजीएस उन्हें मान ही लेगा। (BS Hindi)

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