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16 मई 2009

सीमेंट के लदान में रिकार्ड बढ़ोतरी

मुंबई May 15, 2009
वित्तीय वर्ष 2009-10 की शुरुआत ही घरेलू सीमेंट उद्योग के लिए बेहतर रही।
अप्रैल में इस उद्योग ने पिछले पांच सालों के मुकाबले इस दफा लगातार बढ़ती मांग की वजह से देश से बाहर सीमेंट भेजने में रिकॉर्ड स्तर की बढ़ोतरी हुई है। जब दूसरे निर्माण सेक्टर कम वृद्धि को दर्शा रहे हैं ऐसे में पिछले साल नवंबर में सीमेंट सेक्टर का प्रदर्शन लगातार बेहतर रहा है।
देश के 21.2 करोड़ टन के सीमेंट उद्योग को चीन के बाद दुनिया के दूसरे सबसे बड़े सीमेंट उद्योग के तौर पर देखा जाता है। यहां से एक महीने में 1.66 करोड़ टन सीमेंट बाहर भेजा जाता है और इसमें 13.03 फीसदी तक की वृद्धि दर्ज की गई है जो पिछले साल फरवरी में सबसे ज्यादा थी।
वर्ष 2004 के अप्रैल में उद्योग से बाहर भेजे जाने वाले सीमेंट की वृद्धि 17.85 फीसदी हुई। पिछले वित्तीय वर्ष के अप्रैल महीने में माल लदान की वृद्धि दर 6.12 फीसदी थी जो अगस्त में कम होकर 3.78 फीसदी हो गई। आखिरकार नवंबर में इसमें तेजी आई।
पिछले हफ्ते बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत करते हुए अंबुजा सीमेंट के प्रबंध निदेशक अमृत लाल कपूर का कहना था कि पिछले वित्तीय वर्ष की तरह ही वित्त वर्ष 2010 में भी 8 फीसदी तक की समान वृद्धि हो सकती है। उनका कहना है कि सीमेंट की मांग वृद्धि को लेकर हमारा नजरिया सकारात्मक है।
मौजूदा साल में पहली बार इस उद्योग से सकारात्मक रुख नजर आ रहा है क्योंकि दूसरी छमाही में ज्यादा आपूर्ति की आशंका नजर आ रही है। यह बहुत ही विपरीत सी बात है क्योंकि उद्योग के विशेषज्ञों ने वर्ष 2010 तक 6 फीसदी तक की वृद्धि का लक्ष्य रखा है।
इस साल की शुरुआत में महीने में लदान की वृद्धि दर सालाना आधार पर जनवरी के 8.26 फीसदी से बढ़कर फरवरी में 8.73 फीसदी हो गया। मार्च में इसमें उछाल आया और यह 10.35 फीसदी हो गया वह भी ऐसे वक्त पर जब उद्योग ने 1.81 करोड़ टन की ऐतिहासिक ऊंचाई छू ली।
ऐंजेल ब्रोकिंग के रिसर्च एनालिस्ट पवन बुर्डे का कहना है, 'बुनियादी ढांचे की योजनाओं, ग्रामीण आवास और चुनाव के पहले की खर्च की वजह से बढ़ती ने मांग इस क्षेत्र की वृद्धि की संभावनाएं बेहतर कर दी है। वैसे यह कहना जल्दबाजी होगी कि पूरे साल यह समान वृद्धि बरकरार रहेगी।'
अप्रैल में देश के सबसे बड़े सीमेंट निर्माता एसीसी की लदान वृद्धि दर बढ़कर 4.05 फीसदी हो जाएगी जबकि अंबुजा सीमेंट ने इसमें 10.74 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई। अप्रैल में आदित्य बिड़ला समूह, अल्ट्राटेक सीमेंट और ग्रासिम के सीमेंट लदान में उछाल आया और यह 17.43 फीसदी हो गया जबकि सीमेंट की बड़ी कंपनी श्री सीमेंट के लदान में 28 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई।
उद्योग के दूसरे विशेषज्ञों का कहना है, 'अप्रैल में सीमेंट के लदान में नाटकीय रूप से जो बढ़ोतरी हुई है वह पिछले साल के कम आधार की वजह से हुई है। पिछले साल समान अवधि में निर्यात पर प्रतिबंध लग गया।' सरकार ने सीमेंट निर्यात पर पिछले साल 11 अप्रैल को पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जिसे बाद में मई के अंत में हटा लिया गया था।
वित्तीय वर्ष 2009 के मार्च तिमाही के दौरान सीमेंट के 50 किलोग्राम के बोरे पर 12-15 रुपये तक की बढ़ोतरी हुई इसकी वजह से सीमेंट निर्माताओं को बहुत फायदा हुआ। बाजार के खिलाड़ियों का कहना है कि सीमेंट की कीमत मांग और आपूर्ति के लिहाज से ही निर्धारित हो रही है।
ऐसा कहा जा रहा है कि सरकार सीमेंट कीमतों में तेजी से खुश नहीं है और यह मुमकिन है कि सरकार इस सेक्टर को मिलने वाले कुछ लाभ में कटौती करे। सरकार ने दो राहत पैकेज दिया जिससे सीमेंट सेक्टर को भी फायदा मिला है। यह फायदा पाकिस्तान से आयातित सीमेंट के उत्पादन शुल्क में कटौती और प्रतिकारी शुल्क को फिर से लगाए जाने से मिला है। (BS Hindi)

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