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19 मई 2009

कृषि क्षेत्र के लिए नई रणनीति पर कवायद

नई दिल्ली May 18, 2009
कांग्रेस गठबंधन की नई सरकार के सामने कृषि क्षेत्र के लिए बिल्कुल साफ एजेंडा है।
नई सरकार का पहला और सबसे जरूरी कदम यह होगा कि कृषि की मार्केटिंग व्यवस्था को बेहतर बनाया जाए। पिछली यूपीए सरकार ने वाम दलों के दबाव और पिछले साल ज्यादा महंगाई बढ़ने की वजह से पहले कुछ ऐसे कदम उठाए थे जिससे कृषि मार्केटिंग व्यवस्था को भी नुकसान हुआ।
पिछली यूपीए सरकार को एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट के तहत निजी कारोबार पर विस्तृत दायरे वाले प्रतिबंध और नियंत्रण की कार्रवाई की गई। इसमें स्टॉक को रखने की सीमा, निर्यात पर प्रतिबंध, कई कृषि जिंसों के वायदा कारोबार का निलंबन भी शामिल है। वैसे इस दिशा में पहला कदम उठाया भी गया है।
यूपीए की पिछली सरकार ने 20 लाख टन गेहूं के निर्यात की इजाजत दे दी है। इसके साथ ही गेहूं के वायदा कारोबार पर से प्रतिबंध हटा लिया गया है। लेकिन अब भी कई तरह के प्रतिबंध मौजूद हैं जिनके लिए नई सरकार कोई कदम उठाएगी। पिछली सरकार के कुछ अधूरे काम का पूरा होना बाकी है।
इसके तहत किसानों की कर्जमाफी के मद्देनजर बैंकों की क्षतिपूर्ति के लिए संसाधनों का इंतजाम करना होगा। इसके अलावा सहकारी क्रेडिट ढांचे को पुनर्जीवित करना है क्योंकि इसकी स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी।
सहकारी क्रेडिट सोसायटी और दूसरी संस्थाओं को फिर से स्थापित करने और वित्त से जुड़े पैकेज वैद्यनाथन कमिटी की सिफारिशों पर आधारित थे। सरकार ने इन सिफारिशों पर पहले भी कुछ अमल किया था और अब बेहतर नतीजे पाने के लिए इसका क्रियान्वयन अच्छी तरह से करेगी।
इसके अलावा नई सरकार को दाल और तिलहन के तकनीकी मिशन को भी फिर से शुरू करना है जो अब तक पूरी तरह से असफल रही है। इन मुख्य फसलों के उत्पादन पर भी इसका असर पड़ा है। इन जिंसों की मांग और उत्पादन में काफी अंतर आ रहा है, इसकी वजह से इन जरूरतों का 50 फीसदी तक पूरा करने के लिए आयात पर निर्भरता बढ़ रही है।
नीतिगत मोर्चे पर नई सरकार को कृषि को मुनाफादायक बनाने की कवायद करने की जरूरत है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में खेती में और खेती के अलावा भी रोजगार के अतिरिक्त मौके तैयार करने की जरूरत है। इसके लिए विस्तृत दायरे वाले उपाय करने की जरूरत है और कम लागत में फसल के बेहतर उत्पादन को सुनिश्चित करना भी जरूरी है।
इसके अलावा कर्ज के लिए संस्थागत मदद, जोखिम का प्रबंधन और बेहतर तकनीक की जरूरत होगी। किसानों को उनकी फसल के लिए बेहतर कीमत मिलने के उपाय के तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था की गई थी लेकिन यह भी महज कुछ राज्यों और बहुत कम किसानों तक ही सीमित है। इसी वजह से बेहतर मार्केटिंग की रूप रेखा तैयार करने की जरूरत है।
नई सरकार प्रतिबंधों की गति को कुछ कम करके, कृषि के लिए एक ल राष्ट्रीय बाजार के प्रस्ताव पर काम कर सकती है। बेहतर उत्पादन और मुनाफे के लिए अनुबंध खेती और अधिक मूल्य वाली कृषि व्यवस्था के चलन को प्रोत्साहित करने की जरूरत होगी। कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण करने की जरूरत होगी क्योंकि इससे कृषि क्षेत्र की जीडीपी को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
कृषि के क्षेत्रों में विस्तार और तकनीक में कमी की वजह से उत्पादन में बढ़ोतरी प्रभावित होती है। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप को भी बढ़ावा देने की जरूरत होगी ताकि ज्ञान और तकनीक आधारित कृषि वृद्धि के लक्ष्य को पूरा किया जा सके। (BS Hindi)

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