कोलकाता May 15, 2009
सरकार द्वारा सस्ते आयात पर शुल्क लगाने के बदले कीमतें घटाने का फॉर्मूला स्टील कंपनियों को नहीं सुहा रहा है और ये कंपनियां एक सुर में कह रही हैं कि स्टील की कीमतों खासकर हॉट रोल्ड कॉयल (एचआरसी) की कीमतों में कटौती की कोई गुंजाइश नहीं है।
एचआरसी का ऑटोमोबाइल और कंज्यूमर डयूरेबल्स जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। पिछले हफ्ते वाणिज्य सचिव गोपाल कृष्ण पिल्लई ने कहा था कि सरकार सस्ते आयात पर शुल्क लगाने के लिए तैयार है लेकिन घरेलू स्टील उत्पादकों को एचआरसी की कीमतों घटानी होगी। स्टील कंपनियों ने सरकार के इस प्रस्ताव को सिरे से नकार दिया है।
स्टील उत्पादकों का कहना है कि कच्चे माल की कीमतों में गिरावट नहीं आ रही है। एचआर स्टील बनाने वाली एक कंपनी के अधिकारी कहते हैं, '2008 में कच्चे माल की कीमतें पूरे उफान पर थीं इसलिए हम 2007 से भी तुलना करें तो कच्चे माल की कीमत बढ़ रही है और तैयार माल की कीमतें गिरती जा रही हैं।'
जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक शेषगिरि राव कहते हैं, 'सवाल केवल निर्यात तक ही सीमित नहीं है। कई देशों की तुलना में भारत में अभी भी मांग अच्छी बनी हुई है इसलिए यहां पर भारी मात्रा में डंपिंग भी हो रही है। इस स्थिति को सुधारा जाना चाहिए। आयात के मामले में कुछ करना चाहिए क्योंकि आयात के लिए बड़े ऑर्डर बुक किए जा रहे हैं।'
पिछले साल मई में भी जब महंगाई दर कुलांचे भरकर सरकार को परेशान किए हुए थी तब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्टील कंपनियों को दाम न बढ़ाने पर मना लिया था और वादे के मुताबिक स्टील कंपनियों ने 3 महीने तक दाम भी नहीं बढ़ाए।
लचीला रुख नहीं
आयात कर के बदले एचआरसी के दाम घटाने को नहीं हैं तैयार स्टील कंपनियां उनके मुताबिक कच्चे माल की कीमतें बढ़ीं और तैयार माल की कीमतों में कमी वैश्विक बाजार में कीमतों में भारी गिरावट, सस्ते आयात से बाजार बचाने की चुनौती (BS Hindi)
18 मई 2009
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