मुंबई May 18, 2009
केंद्र में स्थायी सरकार की उम्मीद से जिंस बाजार में सुधार योजनाओं के तेजी से लागू होने की उम्मीद बढ़ी है।
कुछ ऐसी सुधार योजनाएं हैं, जिनकी जरूरत महसूस की जा रही हैं और वे पिछले दो सालों से अधर में हैं। इसमें से जिंस वायदा के नियमों में संशोधन प्रमुख है, जिससे जिंस बाजार के कारोबार को ज्यादा फायदा हो सकता है।
पिछले 5 साल के दौरान जिंस वायदा बाजार के कारोबार में कई गुना की बढ़ोतरी हुई है और वार्षिक कारोबार बढ़कर 1000 अरब डॉलर (50,000 अरब रुपये) पर पहुंच गया है। इसमें 20 प्रतिशत से अधिक की दर से वार्षिक बढ़ोतरी हो रही है।
यह बढ़ोतरी ऐसी स्थिति में हुई है, जब बाजार नियामक के पास बहुत ज्यादा अधिकार नहीं है, जिस पर नीति निर्माताओं को तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) को मजबूती प्रदान करना सरकार के प्राथमिक एजेंडे में शामिल होना चाहिए।
वास्तव में संसद में फारवर्ड कांट्रैक्ट रेग्युलेशन एक्ट (एफसीआरए) में संशोधन विधेयक पेश किया गया था, लेकिन राजनीतिक मजबूरियों के चलते यह पारित नहीं हो सका। सरकार ने एक्ट में संशोधन के लिए अध्यादेश भी पेश किया था, लेकिन इसे अनुमति नहीं मिल सकी।
अब सरकार के सामने ऐसी कोई मजबूरी नहीं है और जैसे ही मतदान खत्म हुआ, एफएमसी ने वायदा बाजार में गेहूं के कारोबार को अनुमति दे दी। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) के एमडी और सीईओ जोसेफ मैसी ने कहा कि सरकार को एफसीआर एक्ट में अवश्य संशोधन करना चाहिए और नियामक को शक्तियां दी जानी चाहिए। (BS Hindi)
19 मई 2009
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