कुल पेज दृश्य

18 मई 2009

कपास खली की कीमतों में रह सकता है गिरावट का दौर

ऊंचे भावों में मुनाफावसूली आने से एनसीडीईएक्स में कपास खली के जून अनुबंध में 4.3 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है। हाजिर बाजार में भी स्टॉकिस्टों की बिकवाली बढ़ने से इसकी कीमतों में चालू महीने में 10 रुपए की गिरावट आकर भाव 556 रुपए प्रति 50 किलो रह गए। चालू फसल सीजन में देश में कपास की पैदावार में पिछले साल के मुकाबले करीब 10 फीसदी की कमी आई है। माना जा रहा है कि इससे कपास खली की उपलब्धता पिछले साल से कम रहेगी। लेकिन जैसे ही मानसूनी वर्षा शुरू होगी, मांग घट जाएगी। इसलिए आगामी दिनों में इसके मौजूदा भावों में और भी गिरावट की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।वायदा बाजार में गिरावटएनसीडीईएक्स पर जून महीने के वायदा अनुबंध में कपास खली की कीमतों में दो मई से अभी तक 4.3 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। दो मई को इसकी कीमतें 597.80 रुपए प्रति 50 किलो हो गईं थीं लेकिन ऊंचे भावों में मुनाफावसूली से गिरावट आई है। शुक्रवार को वायदा में इसके भाव घटकर 571 रुपए प्रति 50 किलो रह गए। जून महीने में 36,050 लॉट के सौदे खड़े हुए हैं।कपास पैदावार में कमीकृषि मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू फसल सीजन में देश में कपास का उत्पादन घटकर 232 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलो) होने का अनुमान है। वर्ष 2007-08 में देश में कपास का उत्पादन 258 लाख गांठ का हुआ था। इसलिए कपास उत्पादन में आई गिरावट के कारण कपास खली की उपलब्धता पिछले साल से कम रहेगी। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सूत्रों के मुताबिक चालू फसल सीजन में देश में 292 लाख गांठ कपास का उत्पादन होने की संभावना है।सरकारी एजेंसियों की बिकवालीकॉटन कापरेरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 89.4 लाख गांठ की खरीद की है। और अब तक 78 लाख गांठ की बिक्री कर चुकी है। सीसीआई के पास इस समय मात्र ग्यारह लाख गांठ का ही स्टॉक बचा हुआ है। उधर, नाफेड ने चालू सीजन में एमएसपी पर 37 लाख गांठ की खरीद की है। और इसमें से बिक्री मात्र पांच-सात लाख गांठ की ही की है। सरकारी एजेंसियों की क्रेसिंग बराबर होने से कपास खली में स्टॉकिस्टों की बिकवाली होने से भी गिरावट को बल मिल रहा है। अकोला मंडी में कपास खली के भाव दो मई को 565 रुपए प्रति 50 किलो थे जबकि शुक्रवार को इसके भाव घटकर 556 रुपए प्रति 50 किलो रह गए। मानसूनी वर्षा शुरू होने के पंद्रह-बीस दिनों बाद हरे चारे की उपलब्धता बढ़ जाती है, जिससे कपास खली की मांग में कमी आ जाती है। अत: मानसून अच्छा रहा तो कपास खली के मौजूदा भावों में और भी गिरावट की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।कपास की आवकमानसा के कॉटन व्यापारी संजीव गर्ग ने बताया कि उत्तर भारत के प्रमुख उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवक लगभग समाप्त हो गई है। पंजाब में कपास के भाव 2550 रुपए, हरियाणा में 2475 रुपए और राजस्थान की मंडियों में 2430 रुपए प्रति 40 किलो चल रहे हैं। इन राज्यों में कपास खली के भाव 1400 से 1500 रुपए प्रति क्विंटल चल रहे हैं। क्वालिटी अच्छी होने के कारण महाराष्ट्र के मुकाबले पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कपास खली के भाव 200-300 रुपए प्रति किलो तेज रहते हैं। गुजरात की मंडियों में इस समय कपास की दैनिक आवक करीब 15 हजार गांठ की हो रही है। और सरकारी खरीद बंद होने से प्राइवेट मिलर खरीद कर रहे हैं। गुजरात की मंडियों में शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव शुक्रवार को 23,900 से 24,100 रुपए कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) बोले गए। उधर महाराष्ट्र की मंडियों में भी आवक घटकर इस समय करीब 1000 गांठ की रह गई है। कॉटन कापरेरेशन आफ इंडिया के सूत्रों के मुताबिक चालू फसल सीजन में मई के प्रथम सप्ताह तक कपास की कुल आवक 270 लाख गांठ की हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 296 लाख गांठ की आवक हुई थी। (Busienss Bhaskar.....R S Rana)

कोई टिप्पणी नहीं: