12 मई 2009
पश्चिम बंगाल में पांच लाख बोरी लालमिर्च उत्पादन की संभावना
पश्चिम बंगाल में लालमिर्च की नई फसल की पैदावार चार-पांच लाख बोरी (एक बोरी 45 किलो) होने की संभावना है इसलिए जून-जुलाई महीने में बंगाल और बिहार की आंध्र प्रदेश से मांग कम हो जाएगी। उधर बांग्लादेश और श्रीलंका की मांग में भी पहले की तुलना में कमी आई है तथा गुंटूर में लाल मिर्च का स्टॉक भी लगभग 50 लाख बोरी का हो चुका है। लेकिन सोमवार से गुंटूर मंडी ग्रीष्मकालीन अवकाश के तहत एक महीना बंद रहेगी। ऐसे में आगामी डेढ़-दो महीने तक लालमिर्च के मौजूदा भावों में तेजी की संभावना कम है।लालमिर्च के व्यापारी विनय बूबना ने बिजनेस भास्कर को बताया कि चालू सीजन में बंगाल में लालमिर्च की नई फसल सुंदरी की पैदावार चार-पांच लाख बोरी होने की संभावना है जोकि पिछले वर्ष के लगभग बराबर ही है। नई फसल की आवक चालू महीने के आखिर में शुरू हो जाएगी तथा जून-जुलाई में आवक का दबाव रहेगा। अत: इस दौरान बंगाल और बिहार की मांग आंध्रप्रदेश से कम हो जाएगी। मई में बांगलादेश में भी नई फसल आती है इसलिए बांगलादेश की मांग में भी कमी आ जाएगी। वैसे भी आम का सीजन शुरू हो चुका है तथा आम के सीजन में मसालों की मांग कम हो जाती है। इसलिए आगामी दो महीने में लालमिर्च के मौजूदा भावों में तेजी की संभावना कम है। गुंटूर मंडी के लालमिर्च व्यापारी मांगीलाल मुंदड़ा ने बताया कि गुंटूर में लाल मिर्च का करीब 50 लाख बोरी का स्टॉक हो चुका है। लेकिन ग्रीष्मकालीन अवकाश के तहत एक महीना मंडी बंद रहेगी। इसलिए मंडी में आवक नहीं होगी। हालाकि इस दौरान छिटपुट आवक कोल्ड स्टोर में आएगी। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष आंध्र प्रदेश में लालमिर्च का कुल उत्पादन 150 लाख बोरी का हुआ था लेकिन बुवाई रकबा घटने से चालू सीजन में उत्पादन घटकर 130 से 135 लाख बोरी ही होने की संभावना है। उत्पादन में कमी से लालमिर्च के मौजूदा भावों में भारी गिरावट की संभावना तो नहीं है लेकिन निर्यातकों के साथ-साथ घरेलू मांग में कमी आने से भाव में सीमित घट-बढ़ बनी रह सकती है। गुंटूर मंडी में तेजा क्वालिटी की लालमिर्च के भाव 5400-5500 रुपये, ब्याड़गी क्वालिटी के भाव 4600-4800 रुपये, 334 क्वालिटी के भाव 4500-4600 रुपये तथा सनम क्वालिटी के भाव 4600-4700 रुपये और फटकी क्वालिटी के भाव 1700 से 2800 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं।मुंबई स्थित लालमिर्च के निर्यातक अशोक दत्तानी ने बताया कि इस समय बांग्लादेश की मांग काफी कमजोर पड़ गई है। जबकि श्रीलंका की मांग भी पहले की तुलना में घटी है। भारतीय मसाला बोर्ड के सूत्रों के अनुसार वित्त वर्ष 2008-09 में फरवरी तक देश से लालमिर्च का निर्यात घटकर 166,000 टन रह गया जबकि इसके पिछले साल की समान अवधि में इसका निर्यात 176,255 टन रहा था। चालू वर्ष के फरवरी महीने में निर्यात मात्र 10,000 टन का ही हुआ है जबकि पिछले वर्ष फरवरी में निर्यात 15,325 टन का हुआ था। (Buisness Bhaskar.....R S Rana)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें