21 जून 2010
निर्यातकों की मांग से केस्टर सीड में तेजी
निर्यातकों की मांग बढ़ने से केस्टर सीड की कीमतों में तेजी का रुख बना हुआ है। पिछले एक महीने में घरलू और वायदा बाजार में केस्टर सीड के दाम क्रमश: 4।5 और 7 फीसदी बढ़ चुके हैं। चालू वर्ष में केस्टर तेल के निर्यात में 9 फीसदी की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। जबकि केस्टर सीड की पैदावार में करीब चार फीसदी की कमी आई है। ऐसे में आगामी दिनों में केस्टर सीड और तेल की मौजूदा कीमतों में और भी तेजी की संभावना है। गांधीधाम स्थित मैसर्स एस एस कैमिकल के मैनेजिंग डायरक्टर कुशल राज पारिख ने बताया कि चालू वर्ष में केस्टर तेल का निर्यात बढ़कर तीन लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 2.75 लाख टन से ज्यादा है।इस समय केस्टर तेल में अमेरिका, यूरोप और चीन की अच्छी मांग बनी हुई है। पिछले पंद्रह-बीस दिनों में ही इन देशों से करीब 15-17 हजार टन केस्टर तेल के आयात सौदे 1460-1560 डॉलर प्रति टन की दर से हुए हैं। आगामी दिनों में इन देशों की आयात मांग में और भी बढ़ोतरी होने की संभावना है। नमेस्ट ट्रेड प्राइवेट लिमिटेड के डायरक्टर प्रकाश भाई ने बताया कि गुजरात की मंडियों में केस्टर सीड की दैनिक आवक घटकर 15-20 हजार बोरी की रह गई है। जबकि निर्यातकों के साथ ही घरलू मांग बढ़ने से केस्टर सीड और तेल की कीमतों में तेजी बनी हुई है। उत्पादक मंडियों में चालू महीने में इसकी कीमतों में करीब 140 रुपये की तेजी आकर शुक्रवार को भाव 3,240 रुपये प्रति `िंटल हो गए। केस्टर तेल की कीमतों में इस दौरान 20 रुपये की तेजी आकर भाव 680-690 रुपये प्रति दस किलो हो गए। नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) पर निवेशकों की खरीद बढ़ने से केस्टर सीड की कीमतों में तेजी बनी हुई है। पिछले एक महीने में वायदा बाजार में इसके दाम करीब सात फीसदी बढ़े हैं। 19 मई को जुलाई महीने के वायदा अनुबंध में केस्टर सीड का भाव 3,142 रुपये प्रति `िंटल था जोकि शुक्रवार को बढ़कर 3,365 रुपये प्रति `िंटल हो गया। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार वर्ष 2009-10 में देश में केस्टर सीड की बुवाई में 10 फीसदी की कमी आकर कुल बुवाई 7.40 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी।हालांकि प्रति हैक्टयर उत्पादन पिछले साल के 1,180 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर से बढ़कर 1,261 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर हुआ है। ऐसे में वर्ष 2009-10 में पैदावार में चार फीसदी की कमी आकर कुल उत्पादन 9.34 लाख टन होने का अनुमान है। उधर उद्योग सूत्रों का मानना है कि पैदावार नौ लाख टन से भी कम होने की आशंका है। पैदावार में सबसे ज्यादा कमी आंध्रप्रदेश और राजस्थान में क्रमश: 38 और 30 फीसदी की आने का अनुमान है। (बिज़नस भास्कर...आर अस राणा)
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