नई दिल्ली June 13, 2010
चीनी उद्योग ने केंद्र सरकार द्वारा आवश्यक जिंस अधिनियम में संशोधन कर 14,000 करोड़ रुपये के भुगतान किए जाने के मसले पर न्यायालय की शरण ली है। चीनी मिलों के संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (आईएसएमए) ने इस सिलसिले में दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि आवश्यक जिंस (संशोधन एवं सत्यापन) अधिनियम, 2009 की धारा 2 ए और धारा 3 संविधान के विरुद्ध है। इस सिलसिले में न्यायालय ने केंद्रीय खाद्य सचिव और खाद्य विभाग के अन्य अधिकारियों को नोटिस भेजा है। न्यायालय इस मामले की सुनवाई 23 जुलाई को करेगा। अक्टूबर 2009 में किए गए संशोधन से सर्वोच्च न्यायालय का 31 मार्च 2008 का फैसला लेवी शुगर की कीमतों को पूर्व व्यापी प्रभावों से निष्प्रभावी बनाता है। इसमें लेवी शुगर की कीमतों के मसले पर किसी भी तरह से हस्तक्षेप की मांग किए जाने वाले मामलों में न्यायालय के हस्तक्षेप को भी प्रतिबंधित किया गया है। दायर की गई याचिका में आईएसएमए ने कहा है, 'संवैधानिक न्यायालयों के न्याय क्षेत्र को वैधानिक रूप से सीमित करना, संविधान के अनुच्छेद 226 और अनुच्छेद 32 के खिलाफ है। न्यायालयोंं के न्याय क्षेत्र को कम करके इसे लागू नहीं किया जा सकता।1980 की शुरुआत से ही राज्य समर्थित मूल्य दिए जाने वाले राज्यों में उस मूल्य के आधार पर लेवी शुगर की कीमतें तय किए जाने की मांग को लेकर कई याचिकाएं दायर हुईं। महालक्ष्मी शुगर और अन्य बनाम भारत सरकार (2008) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि राज्य समर्थित मूल्य राज्यों द्वारा तय होता है, लेवी शुगर की कीमतें तय किए जाते समय इस तथ्य पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके पहले के भी कुछ फैसलों में यही राय सामने आई थी। चीनी उद्योग को उम्मीद थी कि इस फैसले से 14,000 करोड़ रुपये का फायदा होगा। बहरहाल केंद्र सरकार ने इस मामले में एक कानूनी संशोधन कर दिया, जिससे इस तरह के उठे दावे खारिज हो गए। साथ ही लेवी शुगर के मामले में न्यायालय के हस्तक्षेप को भी प्रतिबंधित कर दिया गया।पांच राज्य- उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु राज्य समर्थित मूल्य की घोषणा करते हैं, वहीं महाराष्ट्र कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और बिहार न्यूनतम समर्थन मूल्य (अब उचित एवं लाभकारी मूल्य -एफआरपी) के मुताबिक भुगतान करते हैं। सामान्यतया राज्य समर्थित मूल्य, केंद्र सरकार द्वारा तय किए गए मूल्य से ज्यादा होता है, जिसकी घोषणा राज्य सरकारें राजनीतिक नफा-नुकसान देखकर करती हैं।लेवी शुगर की चीनी सरकार द्वारा तय किए गए मूल्य के आधार पर मिलें, सरकार को देती हैं। इसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से बेचा जाता है। मिलें अपने कुल उत्पादन का 80 प्रतिशत खुले बाजार में बेचती हैं। वर्तमान में लेवी चीनी की कीमतें करीब 1318-1344 रुपये प्रति क्विंटल हैं। (बीएस हिंदी)
15 जून 2010
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