04 जून 2010
मिलों को चीनी निर्यात के लिए मोहलत
वर्ष 2004-05 में टन-टू-टन नियम के तहत शुल्क चुकाए बिना आयात की गई करीब 9.63 लाख टन चीनी के ऐवज में इतनी ही चीनी निर्यात करने के लिए आयातक मिलों को मार्च 2011 तक की मोहल्लत मिल गई है। शुगर निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गन्ने के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है। जिससे पेराई सीजन 2010-11 में चीनी का उत्पादन खपत के मुकाबले बढ़ने का अनुमान है। इसीलिए मिलें अगले सीजन में चीनी निर्यात करने में सक्षम होंगी। टन-टू-टन नियम के तहत मिलों को आयात की गई चीनी के बराबर निर्यात करना अनिवार्य करना होता है।उन्होंने बताया कि टन-टू-टन के आधार पर आयात की गई चीनी को 36 महीने के अंदर मिलों को निर्यात करना होता है। जून 2006 में सरकार ने चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। जबकि अप्रैल 2007 में सरकार ने चीनी निर्यातकों को सब्सिडी दी थी। पेराई वर्ष 2008-09 और 2009-10 में देश में चीनी का घरलू उत्पादन मांग के मुकाबले कम रहा। मालूम हो कि पेराई वर्ष 2008-09 में देश में चीनी का उत्पादन घटकर 147 लाख टन का हुआ था जबकि चालू पेराई सीजन 2009-10 में उत्पादन 188 लाख टन होने का अनुमान है। देश में चीनी की सालाना खपत करीब 225 लाख टन की होती है। इसीलिए 2004-05 में आयात की गई की कुल चीनी में 9.63 लाख टन चीनी का निर्यात अभी तक नहीं हो पाया है। चालू बुवाई सीजन में देश में गन्ने का बुवाई क्षेत्रफल बढ़ा है। ऐसे में 2010-11 पेराई सीजन में देश में चीनी का उत्पादन खपत के मुकाबले ज्यादा होने की संभावना है। इसीलिए मिलों को बची हुई 9.63 लाख टन चीनी के निर्यात के लिए मार्च 2011 तक का समय दिया गया है। उन्होंने बताया कि अभी तक करीब 61.5 लाख टन चीनी का आयात किया जा चुका है। इसमें करीब 25 लाख टन चीनी पिछले पेराई सीजन में आयात की गई थी। जबकि चालू पेराई सीजन में 36.5 लाख टन चीनी का आयात हो चुका है। देश में चीनी की कमी को देखते हुए सरकार ने दिसंबर तक आयात होने वाली चीनी पर निर्यात की कोई शर्त जुड़ी नहीं है। इसलिए इस आयात के ऐवज में कोई निर्यात नहीं करना होगा। (बिज़नस भास्कर)
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