21 जून 2010
विदेशों के अच्छे उत्पादन से खाद्य तेल हो सकता है सस्ता
अर्जेटीना और ब्राजील में सोयाबीन का बंपर उत्पादन हुआ है। अमेरिका में भी सोयाबीन के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है। मलेशिया और इंडोनेशिया में लीन सीजन समाप्त हो गया है। इस मौसम फसल के अनुकूल बना हुआ है। इसीलिए आगामी महीनों में इन देशों में पॉम तेल का उत्पादन बढ़ना शुरू हो जाएगा। वैसे भी घरलू बाजार में तिलहनों के साथ ही खाद्य तेलों की उपलब्धता अच्छी है। ऐसे में आगामी दिनों में घरलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों पर दबाव बने रहने की संभावना है। दिल्ली वैजिटेबल ऑयल ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव हेंमत गुप्ता ने बताया कि आयातित खाद्य तेलों का भाव कम होने से घरलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में दबाव बना हुआ है। सरसों तेल का भाव जयपुर में 470 रुपये, सोयाबीन का भाव इंदौर में 445 रुपये, मूंगफली का राजकोट में भाव 725 रुपये, क्रूड पॉम तेल का भाव कांडला बंदरगाह पर 365 रुपये और आरबीडी पामोलीन का भाव 388 रुपये प्रति 10 किलो है। हालांकि पिछले दो महीने में खाद्य तेलों के आयात में क्रमश: 22 और 26 फीसदी की कमी आई है, लेकिन घरलू बाजार में स्टॉक ज्यादा है। अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) के अनुसार अर्जेटीना में सोयाबीन काबढ़कर 540 लाख टन और ब्राजील में 680 लाख टन होने का अनुमान है। अमेरिका में भी सोयाबीन की बुवाई बढ़ी है। इसीलिए विव्श्र बाजार में खाद्य तेलों की कीमतें घट रही हैं। एनएनएस के रिसर्च एनॉलिस्ट टी के सिंह ने बताया कि मलेशिया और इंडोनेशिया में लीन सीजन समाप्त हो गया है। तथा मौसम फसल के अनुकूल बना हुआ है। इसीलिए आगामी महीनों से वहां पॉम तेल का उत्पादन बढ़ना शुरू हो जाएगा। इसी के कारण पिछले पंद्रह-बीस दिनों में ही क्वालालांपुर कमोडिटी एक्सचेंज (केएलईसी) में करीब 100 रिंगिट की गिरावट आकर भाव 2400 रिंगिट पर आ गए हैं। आगामी दिनों में इसमें करीब 100 रिंगिट की और गिरावट आने की संभावना है। इसीलिए मानसून सामान्य रहा तो घरलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों पर दबाव ही बना रहने का अनुमान है। क्रुड पॉम तेल का भाव मुंबई में मई के शुरू में 820 डॉलर प्रति टन (सीएंडएफ) था जोकि चालू महीने में घटकर 790 डॉलर प्रति टन रह गया। इस दौरान आरबीडी पॉमोलीन का भाव 842 डॉलर से घटकर 792 डॉलर प्रति टन रह गया। साल्वेंट एक्सट्रेक्टसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू तेल वर्ष के पहले सात महीनों (नवंबर-09 से मई-10) के दौरान कुल 48।49 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हो चुका है। जबकि इस समय घरलू बाजार में सरसों और सोयाबीन का ही करीब 85-90 लाख टन का स्टॉक बचा हुआ है। खाद्य तेलों में तो उठाव कमजोर है ही साथ ही खली का निर्यात भी घट रहा है। इसीलिए मिलों द्वारा तिलहनों की क्रेसिंग भी सीमित मात्रा में ही की जा रही है। कृषि मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2009-10 में देश में तिलहन उत्पादन 254 लाख टन होने का अनुमान है जबकि उद्योग का अनुमान 242 लाख टन का है।बात पते कीघरेलू बाजार में तिलहनों के साथ ही खाद्य तेलों की उपलब्धता अच्छी है। ऐसे में आगामी दिनों में घरलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों पर दबाव बने रहने की संभावना है। (बिज़नस भास्कर.....आर अस राणा)
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