मुंबई June 24, 2010
साबुन और डिटर्जेंट बनाने में काम आने वाले लीनियर एल्काइल बेंजीन (एलएबी) की कीमतों में सालाना आधार पर 17 फीसदी की उछाल आने के बाद अब स्थिरता आ गई है।
कृत्रिम डिटर्जेंट और साबुन बनाने में आवश्यक कच्चेमाल के तौर पर एलएबी का इस्तेमाल किया जाता है। कैपिटल ऑनलाइन आंकड़ों के मुताबिक एलएबी उत्पादन का करीब 95 फीसदी घरेलू कंपनियों द्वारा कृत्रिम डिटर्जेंट बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। बाकी 5 फीसदी का इस्तेमाल तरल डिटर्जेंट, चमड़ा प्रसंस्करण, कीटनाशक और पेंट उद्योग में होता है।
कृत्रिम डिटर्जेंट निर्माण की लागत में 45 फीसदी हिस्सा एलएबी का होता है। एलएबी के निर्माण से जुड़े सूत्रों के मुताबिक कीमतों में नरमी आने की मुख्य वजह आपूर्ति बढ़ना है जबकि इस बीच मांग पहले जितनी ही है।
सूत्रों का कहना है, 'एलएबी बनाने वाली कई विदेशी इकाइयों को मांग में कमीका सामना करना पड़ रहा है, जिससे ज्यादातर इकाइयां या तो क्षमता से नीचे काम कर रही हैं या बंद हो रही हैं। वैश्विक स्तर पर मांग में कमी के चलते वैश्विक कंपनियां अपना माल भारत भेज रही हैं। घरेलू उत्पादकों को अतिरिक्त आपूर्ति से मुकाबला करना होगा। एलएबी के कच्चेमाल केरोसिन और बेंजीन की कीमतों में भी कमी आ सकती है।'
घरेलू उद्योग ने पहले सुरक्षा शुल्क या ऐंटी डंपिंग शुल्क लगाने की मांग की थी जो सरकार की ओर से ठुकरा दी गई। लिहाजा एलएबी के प्राथमिक स्त्रोत कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के बिना इसकी कीमतों में बढत की वजह समझ नहीं आई। उद्योग सूत्रों ने कहा कि ज्यादा आपूर्ति से घरेलू उत्पादकों की परिचालन क्षमता पर कोई असर नहीं है क्योंकि उद्योग ने प्रतिस्पर्धी कीमत रणनीति अपनाई है।
सूत्रों ने कहा कि कीमतों में बहुत ज्यादा गिरावट नहीं आएगी और एक सीमित दायरे में कारोबार होगा क्योंकि घरेलू बाजार में एलएबी का कोई नजदीकी पूरक नहीं हैं। डिटर्जेंट उद्योग में ग्लाइकॉल या ओलेफिन का इस्तेमाल किया गया है, लेकिन इसके बाद गुणवत्ता को लेकर भरोसा नहीं दिया जा सका है।
लिहाजा औद्योगिक सूत्रों का मानना है कि एलएबी की कीमतें कुछ समय के लिए स्थिर रहेंगी, लेकिन एक महीने के भीतर इनमें 500-1,000 रुपये प्रति टन की नरमी आ सकती है। एलएबी की कीमतें मई 2010 में 89,200 रुपये प्रति टन चल रही थीं और इनमें सालाना आधार पर 17 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई है। मई 2009 में कीमतें 76,200 रुपये प्रति टन थीं। (बीएस हिंदी)
24 जून 2010
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