24 जून 2010
नए वित्त वर्ष में बासमती का निर्यात फीका पड़ा
बासमती चावल निर्यात के मामले में चालू वित्त वर्ष की शुरूआत फीकी रही है। विगत अप्रैल और मई में बासमती चावल के निर्यात सौदे करीब 24 फीसदी घट गए। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक चालू वित्त के अप्रैल-मई में 4।72 लाख टन बासमती चावल के निर्यात सौदों का रजिस्ट्रेशन हुआ जबकि पिछले साल की समान अवधि में 6.21 लाख टन के सौदे पंजीकृत हुए थे। इस समय ईरान की मांग कम आ रही है लेकिन निर्यातकों को उम्मीद है कि अगस्त-सितंबर के बाद निर्यात में तेजी आएगी। अधिकारी ने बताया कि बीते वित्त वर्ष 2009-10 के अप्रैल से फरवरी (11 माह) के दौरान 18.11 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ जबकि 2008-09 में 15 लाख टन का ही निर्यात हुआ था। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टस एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय सेतिया ने बताया कि इस समय ईरान की आयात मांग कम आ रही है। इसीलिए निर्यात सौदों के रजिस्ट्रेशन सौदों में कमी आई हैं। अगस्त-सितंबर के बाद ईरान, सऊदी अरब और कुवैत की मांग बढ़ने की संभावना है। हालांकि उन्होंने माना कि पाकिस्तान में 1121 बासमती चावल का उत्पादन बढ़ रहा है जिसका असर भारत के निर्यात पर पड़ रहा है। विजय सेतिया ने बताया कि जिस तरह से बासमती चावल के निर्यात के लिए केंद्र सरकार ने न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 900 डॉलर प्रति टन निर्धारित किया है। उसी तरह से गैर बासमती सुपीरियर चावल की सभी किस्मों के लिए एमईपी निर्धारित करके निर्यात खोल देना चाहिए। ऐसा करने पर चालू वित्त वर्ष में कुल निर्यात बढ़कर 40 लाख टन हो सकता है। पिछले साल बासमती चावल के 32 लाख टन के निर्यात सौदों का रजिस्ट्रेशन हुआ था। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में पारंपरिक बासमती में कच्चे चावल का भाव 1,600-1750 डॉलर, रॉ बासमती चावल का 1,250-1,350 डॉलर, पूसा-1121 बासमती चावल सेला का भाव 950-1,150 डॉलर तथा 1121 पूसा बासमती के रॉ चावल का भाव 1,400 से 1,500 डॉलर प्रति टन है। डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती आने का भी निर्यात पर असर पड़ रहा है। रुपया मजबूत होने से निर्यातक ज्यादा भाव चाहते हैं। दूसरी ओर डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया इतना मजबूत नहीं हुआ है। इससे पाकिस्तानी निर्यातकों कम भाव पर निर्यात करने की स्थिति में हैं। इसका उन्हें फायदा हो रहा है। सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान से चावल के कुल निर्यात में करीब 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। केआरबीएल लिमिटेड के संयुक्त प्रबंध निदेशक अनुप कुमार गुप्ता ने बताया कि ईरान के पास बकाया स्टॉक बचा हुआ है। साथ ही ईरान पाकिस्तान से आयात कर रहा है। इसके अलावा यूरो जोन में आर्थिक संकट के कारण यूरोपीय देशों की मांग भी कम हुई है। अमेरिका की मांग भी पहले की तुलना में घटी है। इसीलिए भारत से निर्यात सौदों के रजिस्ट्रेशन में कमी आई है। हालांकि सऊदी अरब और कुवैत की आयात मांग बराबर बनी हुई है। अगस्त के बाद निर्यात सौदों में तेजी आने की संभावना है। बंजरबली राइस ट्रेडर्स के प्रोपराइटर श्रीभगवान मित्तल ने बताया कि निर्यात मांग कमजोर होने से दिल्ली थोक बाजार में भी 1121 बासमती चावल सेला का भाव घटकर 3800 रुपये और स्टीम का भाव 5000 से 5,200 रुपये प्रति `िंटल रह गया। बात पते कीईरान की आयात मांग कम आ रही है। इसीलिए निर्यात सौदों के रजिस्ट्रेशन सौदों में कमी आई हैं। अगस्त-सितंबर के बाद ईरान, सऊदी अरब और कुवैत की मांग बढ़ने की संभावना है। (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)
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