चंडीगढ़ June 13, 2010
अनुकूल मौसम के चलते इस साल कपास उत्पादन में बढ़ोतरी की उम्मीद है। इससे फैक्टरी मालिक विस्तार की योजनाएं बना रहे हैं और भारत के कपड़ा उद्योग में उम्मीद की नई किरण आई है।किसान, कारोबारी, कपास फैक्टरी के मालिक, धागा निर्माता और गारमेंट विनिर्माताओं को इस अनुमान से खुशी है कि 2010-11 में उत्पादन 325 लाख गांठ होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में कुल 295 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था। वर्धमान समूह के चेयरमैन एसपी ओसवाल को विश्वास है कि उनकी विस्तार योजना धीरे-धीरे गति पकड़ेगी। वर्धमान की कपास की सालाना खपत करीब 10 लाख गांठ है, जो देश के कुल कपास उत्पादन का करीब 3 प्रतिशत है। समूह की कई परियोजनाएं विचाराधीन हैं।ओसवाल की ही तरह कपास और टेक्सटाइल उद्योग की आपूर्ति श्रृंखला में शामिल लोगों को उम्मीद है कि इस साल कपास का उत्पादन ज्यादा होगा। गुजरात के एक कारोबारी अरुण दलाल ने कहा कि फेट नामक तूफान के चलते मॉनसून के पहले पंजाब और हरियाणा में हुई बारिश से किसानों ने पहले बुआई कर दी है, खासकर गुजरात के तटीय इलाके के किसानों को इससे ज्यादा फायदा हुआ है।पंजाब के भटिंडा इलाके के प्रगतिशील किसान जगतार सिंह मेहमा (जो बड़े पैमाने पर कपास की खेती करते हैं) ने कहा कि बारिश की वजह से मिट्टी में मौजूद खारेपन की मात्रा कम हुई है और इसका फायदा कपास की फसल को मिलेगा। उत्तर भारत में अप्रत्याशित रूप से तापमान 45 डिग्री सेंटीग्रेड है, जिस इलाके की हिस्सेदारी देश के कुल कपास उत्पादन में 12 प्रतिशत के करीब है- इसका कपास की फसल पर विपरीत असर पड़ रहा है। गिनिंग फैक्टरियां के मालिकों को उम्मीद है कि इस साल बेहतर फसल होने की वजह से वे अपने क्षमता उपभोग में 10-15 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकेंगे।कृषि मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक कपास की बुआई के रकबे में देश भर में करीब 8-10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की उम्मीद है। इसकी वजह यह रही है कि कपास की बिक्री लगातार न्यूनतम समर्थन मूल्य से ज्यादा रही हैं। मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के किसान कपास की खेती की ओर आकर्षित हुए हैं और उन्होंने बड़े पैमाने पर सोयाबीन और मूंगफली की खेती से मुंह मोड़ लिया है। इसकी वजह साफ है- किसानों को कपास से ज्यादा मुनाफा मिल रहा है। कपड़ा मंत्रालय के मुताबिक कॉटन एडवाइजरी कमेटी अगले महीने कपास के निर्यात के शुरुआती आंकड़ों की रिपोर्ट देगी। उत्पादन में बढ़ोतरी की वजह से शुरुआती अतिरिक्त माल 71।5 लाख गांठ और वर्तमान अतिरिक्त माल 35 लाख गांठ के बीच की खाईं भी भरेगी। देश की कपड़ा मिलों की वार्षिक अनुमानित खपत 260 लाख गांठ है। (बीएस हिंदी)
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