नई दिल्ली June 27, 2010
एशिया की सबसे बड़ी फल एवं सब्जी मंडी आजादपुर में इलेक्ट्रॉनिक बोली (ई-बोली) की व्यवस्था अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। यह व्यवस्था दिल्ली कृषि विपणन बोर्ड (डीएएमबी) की मंडी के कंप्यूटरीकरण का हिस्सा है। इस व्यवस्था को लागू करने का मकसद बोली प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना है। वर्तमान में अपनाई जा रही बोली प्रक्रिया के तहत मंडी में आढ़ती और खरीदार रूमाल के अंदर हाथ डालकर फल और सब्जियों के दाम तय करते है। इस प्रक्रिया में बेइमानी होने की शिकायतें आने लगी हैं।इस बारे में कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) आजादपुर के सचिव राजकुमार का कहना है कि इस व्यवस्था के लागू होने में अभी और समय लगेगा। देरी के पीछे कारण के बारे में राजकुमार ने कुछ नहीं बताया। डीएएमबी के चैयरमेन ब्रह्मï यादव ने कहा कि मंडी को आधुनिक बनाने के लिए मंडी में कंप्यूटरीकरण और ई-नीलामी की व्यवस्था की जानी है। इस योजना में हो रही देरी के बारे में यादव का कहना है कि सॉफ्टवेयर का काम पूरा हो चुका है। जल्द ही उपकरणों की खरीद कर ली जाएगी। इस योजना पर करीब 10-12 करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। फल कारोबारी राजकुमार भाटिया ने बताया कि बोर्ड और मंडी प्रशासन ने जमीनी हकीकत जाने बिना तीन-चार वर्ष पहले इलेक्ट्रॉनिक- बोली की योजना बनाई थी, लेकिन यह अभी तक पूरी नहीं हो पाई । इस व्यवस्था में हो रही देरी को देखते हुए इसके पूरा होने की उम्मीद कम है।कंप्यूटरीकरण की व्यवस्था होने के बाद मंडी में वाहनों के आवागमन, जिंसों की आपूर्ति के आंकड़े इकट्ठा करने में आसानी होगी। ऐसा होने से कार्यपद्घति में अधिक पारदर्शिता आएगी। मंडी में रोजाना छोटे व बड़े करीब 5000 वाहनों की आवाजाही होती है। यहां 118 जिंसों का कारोबार किया जाता है। 4100 कमीशन एजेंट व थोक बिक्रेता है। इसके अलावा मंडी में 438 बड़ी और 836 छोटी दुकाने है। वित्त वर्ष 2009-2010 के दौरान मंडी प्रशासन ने मार्केट फीस के रूप में 55।23 करोड़ रुपये वसूले है। वित्त वर्ष 2008-2009 में करीब 46 करोड़ रुपये वसूले गए थे। (बीएस हिंदी)
28 जून 2010
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