मुंबई June 23, 2010
सोने के सरपट भागते भाव के साथ कदमताल करती चांदी भी सराफा बाजार में रिकॉर्ड दर रिकॉर्ड बना रही है।
निवेशक भी इसमें जमकर मुनाफा काट रहे हैं, इसलिए ऊंचे भाव के बावजूद इसकी मांग में कमी नहीं दिख रही है और मांग लगातार बढ़ते रहने के ही आसार हैं। इसके बावजूद मुंबई में चांदी के आभूषणों, बर्तन और फर्नीचर की गुणवत्ता रामभरोसे ही है क्योंकि यहां इन पर हॉलमार्क करने वाला एक भी केंद्र नहीं है।
दरअसल ग्राहकों को धोखे से बचाने और सोने-चांदी के जेवरों की गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए सरकार ने 2007 से जेवरात पर हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी है। कानूनन अब सोने, चांदी और प्लेटिनम के आभूषणों पर हॉलमार्क लगाना अनिवार्य है।
ज्यादातर सोना कारोबारी ऐसा करने भी लगे हैं, लेकिन चांदी को अभी हॉलमार्क मयस्सर नहीं हुआ है। सरकारी नियमों के बावजूद बिना हॉलमार्क के चांदी के जेवर और सामान खुलेआम बिकते हैं। कारोबारियों का कहना है कि इसकी वजह मुंबई में चांदी का एक भी हॉलमार्किंग केंद्र नहीं होना है।
चांदी की वस्तुएं बेचने वाले देश के एकमात्र मॉल सिल्वर इंपोरियम के चेयरमैन कांति मेहता भी यही मानते हैं। उनके मुताबिक हॉलमार्किंग के लिए चांदी का सामान दिल्ली भेजना पड़ता है। हॉलमार्किंग पर प्रति नग 15 रुपये खर्च आता है और माल की ढुलाई 300 रुपये प्रति किलोग्राम पड़ती है, जो छोटे कारोबारियों के लिए मुमकिन नहीं है।
हॉलमार्किंग नहीं होने के बावजूद मुंबई में चांदी का कारोबार अच्छा खासा होता है। बॉम्बे बुलियन एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश हुंडिया के मुताबिक मुंबई में महीने भर में तकरीबन 15 टन चांदी की खपत होती है। निवेशकों को पिछले 3 साल में इस धातु ने 55 फीसदी रिटर्न दिया है। लेकिन एसोसिएशन को भी हॉलमार्किंग केंद्र की कमी खलती है।
सरकारी नियमों के मुताबिक केंद्र खोलने के लिए कम से कम 800 वर्गफुट जमीन चाहिए, जो सोने-चांदी की मशहूर मंडी जवेरी बाजार में मिलना बेहद मुश्किल है। अगर जमीन मिल भी जाती है तो इस इलाके में उसकी कीमत 8 करोड़ रुपये से कम नहीं होगी।
मेहता के मुताबिक हॉलमार्किंग केंद्र की जमीन में में मशीनों और लाइसेंस का खर्च जोड़ दें तो रकम 8.5 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी, जो खर्च करना आसान नहीं।
चांदी हुई काली
मुंबई में चांदी पर हॉलमार्क के लिए नहीं है कोई केंद्र हॉलमार्क ही होता है धातु की शुद्धता का सबूतकेंद्र नहीं होने के कारण यहां बिक रही घटिया चांदीदिल्ली से हॉलमार्किंग कराना पड़ता है बहुत महंगा (बीएस हिंदी)
24 जून 2010
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