09 जून 2010
मानसून आते ही माल्ट उद्योग की मांग घटने से जौ सुस्त
मानसून की प्रगति होने से उत्तर भारत में गर्मी का प्रकोप कम हो गया है। ऐसे में बीयर की मांग घटने की संभावना से माल्ट कंपनियों ने जौ की खरीद कम कर दी है। इसका असर जौ के मूल्य पर दिखाई दिया और भाव पिछले तीन-चार दिनों में करीब चार फीसदी घट गए। हरियाणा और राजस्थान की मंडियों से जौ के गुड़गांव पहुंच दाम मंगलवार को घटकर 1010-1030 रुपये प्रति `िंटल (वैट अतिरिक्त) रह गए। उत्पादक राज्यों की मंडियों में जौ का बंपर स्टॉक बचा हुआ है। इसलिए आगामी दिनों में इसकी मौजूदा कीमतों में चार-पांच फीसदी की और गिरावट आने की संभावना है। कुंदन लाल परसराम एंड कंपनी के डायरक्टर राजीव बंसल ने बिजनेस भास्कर को बताया कि मौसम विभाग द्वारा अच्छे मानसून की भविष्यवाणाी से माल्ट कारखानों ने जौ की खरीद कर दी है। वैसे भी माल्ट निर्माताओं के पास जौ का पर्याप्त स्टॉक है इसीलिए उनकी खरीद पहले की तुलना में कम हो गई है। पिछले सप्ताह के शुरू में जौ का गुड़गांव पहुंच भाव 1070-1090 रुपये प्रति `िंटल था, जो मंगलवार को घटकर 1010-1030 रुपये प्रति `िंटल रह गया। कमजोर मांग को देखते हुए आगामी दिनों में इसकी कीमतों में और भी 40-50 रुपये प्रति `िंटल की गिरावट आने के आसार हैं। श्रीगिरी राज ट्रेडिंग कारपोरशन के प्रोपराइटर सीताराम शर्मा ने बताया कि चालू सीजन में देश में जौ का उत्पादन तो पिछले साल से कम हुआ था। लेकिन नई फसल के समय राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की उत्पादक मंडियों में स्टॉकिस्टों के पास अच्छा-खासा स्टॉक बचा हुआ था। इस समय राजस्थान और हरियाणा की उत्पादक मंडियों में ही लगभग 22-25 लाख बोरी का स्टॉक बचा है। इसके अलावा माल्ट कारखानों के पास करीब 10 लाख बोरी जौ का पुराना स्टॉक भी बचा है। बारिश शुरू होने से आगामी दिनों में स्टॉकिस्टों की बिकवाली भी बढ़ जाएगी। इसीलिए कीमतों में गिरावट को बल मिल रहा है। आगामी दिनों में हर चार की उपलब्धता बढ़ जाएगी। जिससे पशुआहार के लिए भी जौ की मांग कम हो जाएगी। हाजिर में आई गिरावट के कारण वायदा बाजार में पिछले पांच दिनों में जौ की कीमतों में करीब 6।2 फीसदी का मंदा आया है। एनसीडीईएक्स पर जून महीने के वायदा अनुबंध में दो जून को जौ का भाव 1,141 रुपये प्रति `िंटल था, जो मंगलवार को घटकर 1,070 रुपये प्रति `िंटल रह गए। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी तीसर अग्रिम अनुमान के अनुसार वर्ष 2009-10 में जौ का उत्पादन 12.6 लाख टन होने का अनुमान है। जोकि वर्ष 2008-09 के 16.9 लाख टन से कम है।बात पते कीचालू सीजन में जौ के उत्पादन में कमी आई है लेकिन नई फसल के समय स्टॉक काफी ज्यादा है। यही वजह है कि मौसम में बदलाव आते ही भाव पर दबाव बन गया। दाम और गिर सकते हैं। (बिज़नस भास्कर.....आर अस राणा)
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