कोच्चि June 10, 2010
अदरक के वैश्विक उत्पादन और आपूर्ति में भारी कमी का असर अदरक बाजार पर हो रहा है। सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले सूखे अदरक के स्थानीय भाव पिछले 12 महीनों में दोगुने हो गए हैं। अच्छी गुणवत्ता वाले अदरक का भाव फिलहाल 21,000 रुपये क्विंटल चल रहा है जो पिछले साल जून में 12,000 रुपये था। अदरक उत्पादन का अगला सत्र दिसंबर में ही शुरू होगा, लिहाजा बाजार में भारी उछाल की पूरी संभावना नजर आ रही है। केरल और कर्नाटक के स्थानीय उत्पादक कीमतों के अगले 2-3 महीने में 30,000 रुपये क्विंटल तक पहुंचने की उम्मीद कर रहे हैं, इसलिए अपना स्टॉक बाजार में नहीं उतार रहे हैं। अदरक बाजार में इस तरह की तेजी पिछले दस सालों में पहली बार देखने को मिली है।सूखे अदरक का दुनिया का सबसे बड़े उत्पादक देश चीन में उत्पादन काफी प्रभावित हुआ है और यह 4250 डॉलर प्रति टन भाव पेश कर रहा है, वहीं भारतीय अदरक की कीमत दुनिया भर में सबसे ज्यादा 4400 डॉलर प्रति टन चल रही है। प्रमुख निर्यातकों के मुताबिक सबसे बड़ी समस्या यह है कि इतनी ऊंची कीमतों पर भी अच्छी गुणवत्ता वाला अदरक नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि इसकी वजह देश भर में ताजे अदरक की मांग में तेजी है। अदरक उत्पादक सूखा अदरक बनाने में उतनी दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं क्योंकि उन्हें ताजे अदरक के लिए काफी आकर्षक दाम मिल रहे हैं। मजदूरों की कमी भी उत्पादको को सीधे खेतों से ही अदरक बेचने को बाध्य कर रही है। सूखे अदरक के उत्पादन के लिए काफी संख्या में मजदूरों की जरूरत पड़ती है, इस तरह ताजे अदरक के मुकाबले इसके मूल्य में 4-5 गुना तक बढ़ोतरी हो जाती है। वजन में कमी और नम हालत में रखना भी किसानों की चिंता का विषय है। चालू मॉनसून और इसके बाद आने वाले ठंड के मौसम में मांग और बढ़ेगी जिससे अदरक के भाव में और ज्यादा इजाफा देखने को मिलेगा।अदरक का भंडार जमा किए जाने के पीछे यही तर्क दिया जा रहा है और ठंड की शुरुआत से पहले कीमतों के 30,000 रुपये तक पहुंच जाने की आशंका है। कमजोर आपूर्ति सिर्फ भारत के लिए चिंता का विषय नहीं है, चीन और दूसरे प्रमुख उत्पादक नाइजीरिया और इथियोपिया में भी उत्पादन प्रभावित हुआ है। इस बात की भी सूचना आ रही है कि अगले सत्र में भी चीन में अदरक का उत्पादन कम रह सकता है। हालांकि, नाइजीरिया और इथियोपिया में आने वाले अदरक की कम गुणवत्ता यहां से आयात संभावनाओं के लिए चिंता पैदा करती है। कोच्चि के एक प्रमुख कारोबारी के मुताबिक चढ़ती कीमतों के चलते नाइजीरिया के व्यापारियों ने कई बार ऑर्डर पूरा करने में देरी की है। उन्होंने कहा कि उन्होंने तीन महीने पहले 1350 डॉलर प्रति टन कीमत पर अदरक आयात के लिए ऑर्डर दिया था, लेकिन अब तक सिर्फ आधी मात्रा ही प्राप्त कर पाए हैं। वहां से आए अदरक में से करीब 20 फीसदी खराब गुणवत्ता वाला था और बरबाद हो गया। नाइजीरिया फिलहाल 2900-2950 डॉलर प्रति टन कीमत की पेशकश कर रहा है। वहीं, इथियोपिया जहां अब अदरक की आपूर्ति मुश्किल से हो पा रही है, 2500 डॉलर प्रति टन की कीमत पेश कर रहा है। नाइजीरिया में पिछले साल जून में कीमतें महज 535 डॉलर प्रति टन थीं। कीमतों में तेजी के चलते भारत से अदरक निर्यात की मांग कम हो गई है। निर्यातकों के मुताबिक पश्चिम एशियाई बाजार जहां भारतीय अदरक की काफी मांग है, निर्यात की जाने वाली मात्रा पिछले साल के मुकाबले कम हो गई है। मगर, मौसम की वजह से स्थानीय मांग में और मजबूती आने की उम्मीद है। लिहाजा आने वाले कुछ महीनों तक बाजार आपूर्तिकर्ताओं के हाथों में ही रहेगा। (बीएस हिंदी)
11 जून 2010
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