नई दिल्ली June 24, 2010
सेब उत्पादक इलाकों में ओले पड़ने से इसकी फसल को नुकसान हुआ है। उत्पादकों का कहना है कि इस बार अधिक ओले पड़ने से सेब की गुणवत्ता काफी खराब हो गई है।
वहीं पिछले साल के मुकाबले अनुकूल मौसम की वजह से सेब का उत्पादन 40 फीसदी से अधिक बढ़ने का अनुमान है, लेकिन उत्पादकों को बेहतर गुणवत्ता के अभाव में सेब के दाम कम मिलने वाले हैं।
अखिल भारतीय सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष रवींद्र चौहान ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि सेब उत्पादक राज्य जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में हाल ही में ओले पड़ने से सेब की गुणवत्ता खराब हुई है।
उनके मुताबिक कश्मीर में बर्फ अधिक पड़ने से भी सेब को नुकसान हुआ है। इससे आने वाले दिनों में बेहतर गुणवत्ता वाले सेब की बाजार में उपलब्धता कम रहने वाली है। ऐसे में उत्पादकों को उत्पादन बढ़ने के बाद भी अधिक फायदा नहीं होने वाला है।
हिमाचल प्रदेश में सबसे अधिक सेब की गुणवत्ता में कमी आने की आशंका है। हिमाचल प्रदेश सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष लेखराज चौहान ने कहा कि वैसे तो हर साल इन दिनों ओले पड़ते हैं, लेकिन इस बार बीते वर्षों की तुलना में अधिक ओले पड़े है। इस वजह से राज्य में अच्छी गुणवत्ता वाले सेब की 30 फीसदी तक कमी रहने की आशंका है।
उधर, देश में सेब का कुल उत्पादन पिछले साल से अधिक रहने का अनुमान है। रवींद्र चौहान के अनुसार अनुकूल मौसम के चलते कश्मीर में सेब का उत्पादन 8-9 करोड़ बॉक्स (20 किलोग्राम) से बढ़कर 11-12 करोड़ और हिमाचल प्रदेश में उत्पादन दोगुने से अधिक बढ़कर 2-2.5 करोड़ बॉक्स होने का अनुमान है। इस तरह कुल उत्पादन में 40 फीसदी से अधिक बढ़ोतरी हो सकती है।
उत्पादकों के मुताबिक अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता के अभाव में कम दाम मिलने की संभावना है। चौहान के मुताबिक इस बार उत्पादकों को औसतन 700-900 रुपये प्रति बॉक्स सेब की कीमत मिलने के आसार है।
उन्होंने कहा हि पिछले साल उत्पादन में भारी कमी के चलते उत्पादकों को औसतन 1000-1200 रुपये प्रति बॉक्स कीमत मिली थी। इस तरह उपभोक्ताओं को पिछले साल की तुलना में सेब खरीदने के लिए अधिक दाम नहीं चुकाने होंगे।
दिल्ली की फल एवं सब्जी मंडी आजादपुर के सेब कारोबारी सोनू सिंह का कहना है कि अगले महीने से नये सेब की आवक बाजार में होने लगेगी। उत्पादकों के अनुसार हिमाचल में अगेती किस्म के सेब की आवक शुरू होने लगी है। (बीएस हिंदी)
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