बेंगलुरु June 27, 2010
भारत में कॉफी की घरेलू मांग बनी हुई है। हालांकि यूरोप के कर्ज संकट के चलते विदेश से खरीदारी में कमी आई है। घरेलू मांग ज्यादा होने की वजह से रोबस्टा किस्म की कॉफी की कीमतों में मजबूती बनी हुई है और कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार के बराबर ही चल रही हैं।भारतीय कॉफी बोर्ड के कृषि अर्थशास्त्री बाबू रेड्ड़ी ने कहा- भारत से होने वाले निर्यात कारोबार में यूरोप की बड़ी हिस्सेदारी है। कर्ज संकट की वजह से बाजार में बहुत कम खरीदार बचे हैं। बहरहाल घरेलू मांग बनी हुई है, साथ ही भविष्य में भी मांग और कीमतों में मजबूती रहने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में उत्तर भारत में कॉफी की मांग में 40 से 45 प्रतिशत की तेजी आई है। वहीं दक्षिण भारत के परंपरागत बाजारों में भी 5 प्रतिशत की तेजी देखी गई है। हालांकि उन्होंने कहा कि यूरोप में अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ ही निर्यात पहले जैसी स्थिति में आ जाएगा। कॉफी बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक 1 अक्टूबर से शुरू हुए कॉफी वर्ष में इस साल करीब 2,89,000 टन कॉफी उत्पादन की उम्मीद है। देश में कुल उत्पादन का दो तिहाई हिस्सा निर्यात होता है। बहरहाल कॉफी बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि बोर्ड जल्द ही उत्पादन के पुनरीक्षित आंकड़े जारी करेगा, क्योंकि इसके ज्यादा उत्पादन की उम्मीद है। रेड्डी ने कहा- कॉफी उत्पादकों की ओर से मिल रही सूचना के मुताबिक इस साल फसल अच्छी रहने की उम्मीद है। इसलिए हम उम्मीदत करते हैं कि उत्पादन ज्यादा होगा, हालांकि हमने अभी पुनरीक्षित अनुमान जारी नहीं किया है। बहरहाल, इस महीने न्यूयॉर्क में कॉफी वायदा में 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और इसकी कीमतें 27 माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। पैराडिगम कमोडिटीज के निदेशक बीरेन वकील ने कहा- अभी कॉफी बाजार में तेजी का रुख है और उम्मीद की जा रही है कि निकट भविष्य में कीमतें 10-25 प्रतिशत और बढ़ सकती हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान तेजी की वजह डॉलर का कमजोर होना और ब्याज दरें कम होना है, जिसकी वजह से फंड हाउसों ने जिंसों में अपना निवेश बढ़ा दिया है। (बीएस हिंदी)
28 जून 2010
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