मुंबई June 09, 2010
प्रमुख औद्योगिक रसायन और नॉयलान के लिए कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल होने वाले कैप्रोलैक्टम की कीमतों में पिछले कुछ महीनों से गिरावट का रुख है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले महीनों में भी इसकी कीमतों में मंदी रह सकती है।गिरावट के पीछे उद्योग जगत के सूत्र कई कारण बताते हैं। प्राथमिक वजह यह है कि आपूर्ति की तुलना में मांग में कमी आई है। इसका उपभोग करने वाले उद्योग माल नहीं उठा रहे हैं और इसकी वैश्विक कीमतों में भी गिरावट आई है। वैश्विक स्थिति देखें तो कैप्रोलैक्टम की कीमतें पहले से ही कम हैं। इसे बनाने के लिए काम आने वाले बेंजीन की कीमतों में गिरावट आई है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक इसकी कीमतों में मंदी का दौर चल रहा है।फर्टिलाइजर्स ऐंड केमिकल्स त्रावणकोर लिमिटेड (एफएसीटी) के अधिकारियों ने कहा कि इसकी वैश्विक कीमतें एक महीने पहले 2720 डॉलर प्रति टन के उच्च स्तर से नीचे आनी शुरू हुईं। अब दाम घटकर 2600 रुपये प्रति टन रह गया है। एफएसीटी के एक अधिकारी ने कहा, 'कीमतों में गिरावट की प्राथमिक वजह यह है कि चीन में खपत कम हुई है, जो भारतीय कैप्रोलैक्टम उत्पादकों का बड़ा उपभोक्ता है। चीन के टेक्सटाइल और फिलामेंट यार्न बाजार में मंदी चल रही है, और वहां की इकाइयां अपनी क्षमता का विस्तार नहीं कर रही हैं। इसकी वजह यह है कि वहां की इकाइयां कच्चे माल की बढ़ी कीमतों को अचानक उपभोक्ताओं पर नहीं डाल सकती हैं। इस तरह से उन्हें मुनाफा कमाने में दिक्कतें हो रही हैं। उन्होंने कहा कि कैप्रोलैक्टम के निर्यात में कमी की वजह से घरेलू क्षमता बढ़ी है, जिसकी वजह से कीमतों में कटौती करनी पड़ रही है। बाजार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कैप्रोलैक्टम की कीमतों में करीब 4-6 रुपये प्रति किलो की गिरावट आ सकती है, जिसकी वर्तमान कीमतें 139 रुपये प्रति किलो हैं। गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर कार्पोरेशन (जीएसएफसी) के अधिकारियों ने कहा कि घरेलू मांग में कमी की वजह से कुल मिलाकर इसकी कीमतों में गिरावट आ रही है, वहीं आपूर्ति बनी हुई है। नॉयलान चिप बनाने वाले स्थानीय उत्पादकों का कहना है कि कैप्रोलैक्टम की कीमतों में पिछले कुछ महीनों से बहुत ज्यादा तेजी होने की वजह से नॉयलान के ज्यादातर उत्पादकों ने अन्य पॉलिमर जैसे पॉलिप्रोपलीन (पीपी) का रुख कर लिया है। उन्होंने कहा, 'ज्यादातर कच्चे माल की खरीद करने वाली इकाइयां- जो नॉयलान या नायलॉन उत्पाद बनाती थीं, उन्होंने आपूर्तिकर्ताओं से कहा कि अगर कीमतों में तेजी बनी रहती है तो वे खरीद बंद कर देंगे। इस तरह से उत्पादक अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहे हैं और वे सिर्फ ऑर्डर पूरे कर रहे हैं। (बीएस हिंदी)
10 जून 2010
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