मुंबई June 22, 2010
महाराष्ट्र सरकार किसानों को गन्ने का कम मूल्य दिए जाने पर विचार कर रही है, जिससे मिलों को दीवालिया होने से बचाया जा सके।
इस सिलसिले में अंतिम फैसला चीनी मिलों के प्रतिनिधियों, राज्य सरकार के अधिकारियों और राजनेताओं की बैठक के बाद लिया जाएगा। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने चीनी उद्योग के हिस्सेदारों के साथ गुरुवार को एक बैठक बुलाई है।
इस मामले से जुड़े सूत्रों के मुताबिक यह बैठक चीनी मिलों को राहत देने के लिए गन्ने की कीमतों में कटौती किए जाने के सिलसिले में बुलाई गई है। गन्ने की वर्तमान कीमतें 240-250 रुपये प्रति क्विंटल हैं, वहीं चीनी उत्पादन की लागत 2700 रुपये प्रति क्विंटल पड़ रही है।
चीनी की एक्स मिल कीमतें इस समय गिरकर 2300 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गई हैं, जिसके चलते मिलों को प्रति क्विंटल 400 रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है, और उनका वित्तीय गणित गड़बड़ा रहा है।
महाराष्ट्र स्टेट फेडरेशन आफ कोआपरेटिव शुगर फैक्टरीज के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा, 'ऐसी स्थिति पिछले डेढ़ महीने से है। अगर यह स्थिति जारी रहती है तो चीनी मिलों की सेहत पर बहुत बुरा असर पडेग़ा। राज्य के मुख्यमंत्री को पहले ही इस हकीकत से वाकिफ करा दिया गया है।'
चीनी मूल रूप से केंद्र सरकार का विषय है, इसमें राज्य सरकार बहुत कुछ नहीं कर सकती। नाइकनवरे ने कहा कि मुख्य मंत्री केंद्रीय कृषि मंत्री को इस सिलसिले में स्थिति की जानकारी दे सकते हैं कि मिलों को संचालन में किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं।
सूत्रों के मुताबिक पिछले साल 170 से ज्यादा मिलों में गन्ने की पेराई हुई थी और उन्हें अभी भी किसानों को अंतिम भुगतान करना बाकी है। इसके साथ ही मिलों को अगले सत्र की शुरुआत में पहला अग्रिम भुगतान भी करना है। उन्होंने कहा कि अगर गन्ने की कीमतें फिर से तय नहीं की जाती हैं तो किसानों को भुगतान करना संकट बन जाएगा।
चीनी मिलों को उम्मीद थी कि इस पूरे साल में चीनी की कीमतों में तेजी बनी रहेगी। उत्पादन के गलत अनुमानों के आधार पर यह कयास लगाया गया थी। इसी आधार पर मिलों ने अधिक दाम पर गन्ने का भुगतान भी किया।
उसके बाद जब उत्पादन अनुमानों में बदलाव किया गया और 90 लाख टन का अग्रिम स्टॉक का अनुमान आया तो चीनी की कीमतें इस साल की शुरुआत के 44 रुपये किलो से गिरकर अब 23 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गईं।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (आईएसएमए) ने शुरुआत में अनुमान लगाया था कि 2009-10 चीनी सत्र में कुल उत्पादन 150 लाख टन रहेगा। बाद में इसे संशोधित कर 160 लाख टन कर दिया गया। बाद में पेराई सत्र की समाप्ति होते होते उत्पादन अनुमान बढ़कर 180 लाख टन पर पहुंच गया।
रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जब चीनी की कीमतें ज्यादा थीं, तो गन्ने के उच्च दाम आर्थिक रूप से व्यावहारिक थे, लेकिन चीनी की वर्तमान कीमतों की वजह से चीनी वर्ष की दूसरी तिमाही में मुनाफे पर दबाव बढ़ा है।
अधिक उत्पादन लागत और चीनी के दाम गिरने से संकट
गन्ने के दाम ज्यादा होने और चीनी की कीमतें घटने से मिलों को हो रहा है 400 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसानगुरुवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री चीनी उद्योग के हिस्सेदारों के साथ करेंगे बैठकचीनी मिलों को थी पूरे साल कीमतों में तेजी रहने की उम्मीद (बीएस हिंदी)
24 जून 2010
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