कोलकाता June 15, 2010
मौसम की अठखेलियों के चलते उत्तर भारत और दक्षिण भारत में चाय अलग-अलग दिशा में है। दक्षिण भारत में जहां मई महीने में चाय का उत्पादन बढ़कर 25 लाख किलो पर पहुंच गया है, वहीं उत्तर भारत में उत्पादन घटकर 70 लाख किलो पर आ गया। इंडियन टी एसोसिएशन के चेयरमैन आदित्य खेतान ने कहा, 'अप्रैल महीने में उत्तर भारत में चाय का उत्पादन 69 लाख किलो रहा था। वहीं मई महीने में भी उत्पादन करीब उतना ही या थोड़ा अधिक रहा। जून में भी फसल बेहतर रहने की गुंजाइश नहीं दिख रही है। शायद यही कारण है कि उत्तर भारत में चाय की कीमतें, दक्षिण भारत की तुलना में बहुत ज्यादा हैं। उत्तर भारत की चाय पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 15-20 रुपये प्रति किलो तक महंगी है। उद्योग जगत के एक प्रतिनिधि ने कहा- अच्छी किस्म की चाय का संकट हो गया है।वहीं दक्षिण भारत की चाय पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 7-8 रुपये प्रति किलो सस्ती है। अप्रैल तक दक्षिण भारत में चाय का उत्पादन ज्यादा था, वहीं उत्तर भारत में भी उत्पादन के आंकड़े बेहतर थे। बहरहाल, मई महीने में हालात बदल गए। उद्योग जगत के एक प्रतिनिधि ने कहा, 'मई में बहुत ज्यादा बारिश हुई। साथ ही तापमान भी चाय की उपज बढ़ाने के लिए अनुकूल नहीं था। मुझे संदेह है कि चाय उत्पादन पिछले साल के समान महीने में हुए उत्पादन के बराबर रहेगा।अगर उत्तर भारत में कीमतों में स्थिरता नजर आ रही है, तो यह विदेशी प्रभाव के चलते है। दरअसल चाय की वैश्विक कीमतें कम हैं। मोंबासा की नीलामी में उच्च गुणवत्ता वाली चाय की कीमतें 3।42 डॉलर से गिरकर 3.38 डॉलर प्रति किलो रह गईं। वहीं श्रीलंका की चाय की कीमतों में भी मई महीने के अंत में खासी गिरावट देखी गई और यह 20 श्रीलंकाई रुपये रही, जिसमें अब धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। इसकी प्राथमिक वजह यह है कि चाय के वैश्विक उत्पादन में सुधार हुआ है और यह बढ़कर करीब 10 करोड़ किलो हो गया है। पिछले साल फसल खराब रही थी और इस साल केन्या व श्रीलंका में जनवरी-मार्च के दौरान 7.5 करोड़ किलो चाय का उत्पादन हुआ वहीं दक्षिण भारत में उत्पादन बढ़कर 1.2 करोड़ किलो हो गया और उत्तर भारत में 69 लाख किलो उत्पादन हुआ। इन तीन देशों में वैश्विक चाय का 80 प्रतिशत उत्पादन होता है। (बीएस हिंदी)
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