मुंबई 06 29, 2010
इस साल खरीफ फसलों की बुआई पिछले साल की अपेक्षा काफी अच्छी हो रही है। अभी तक पिछले साल के मुकाबले फसलों की बुआई 22 फीसदी से भी अधिक हुई है। हालांकि मौसम विभाग के अनुमान के विपरीत इस बार भी अभी तक सामान्य से करीब 11 फीसदी कम बारिश हुई है। इसके बावजूद बुआई को लेकर किसान उत्साहित दिख रहे हैं।कृषि मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों में 25 जून तक कुल 119।8 लाख हेक्टयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की बुआई हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक महज 98.8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही बुआई हुई थी। शुरुआती दौर में धान और तिलहन की फसलों की रिकॉर्ड बुआई किसानों ने की है। 25 जून तक 24.1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुआई की जा चुकी है जबकि पिछले साल इसी अवधि तक 18.3 लाख हेक्टेयर पर ही धान की रोपाई की गई थी। तिलहन फसलों की बुआई 6.6 लाख हेक्टेयर की जगह इस बार अभी तक 11.5 लाख हेक्टेयर पर की गई है, जबकि गन्ने और कपास की बुआई भी पिछले साल से करीबन 10 फीसदी और 40 फीसदी ज्यादा की गई है। सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की वजह से इस साल कुल गन्ने और कपास की बुआई ज्यादा होने की उम्मीद जताई जा रही है। जबकि तिलहन से किसानों का मोह थोड़ा कमजोर पड़ सकता है। हालांकि दलहन फसलों की बुआई पिछले साल 4.5 लाख हेक्टेयर पर हुई थी जो इस बार कम होकर महज 3.1 लाख हेक्टेयर पर ही हो सकी है।पिछले साल की अपेक्षा अच्छी बारिश होने की वजह से किसानों ने बुआई शुरू कर दी है। हालांकि मौसम विभाग के दावे इस बार भी पूरी तरह से खरे नहीं उतरे हैं । मौसम विभाग ने अनुमान व्यक्त किया था कि इस बार मॉनसून अच्छा रहेगा और सामान्य बारिश होगी जबकि अभी तक मॉनसून देश के कई हिस्सों में पूरी तरह से अपना रंग नहीं दिखा पाया है और सामान्य से करीबन 11 फीसदी कम बारिश भी हुई है। मौसम विभाग का अभी भी दावा है कि इस साल बारिश अच्छी होगी, जुलाई और अगस्त में देशभर में जोरदार बारिश होगी। बरसात को लेकर मौसम विभाग के अधिकारियों काफी आश्वस्त दिखाई दे रहे हैं तो किसानों में भी फसाल बुआई को लेकर जोश दिखाई दे रहा है, क्योंकि पिछले कई सालों की अपेक्षा इस बार बारिश ठीक बताई जा रही है। खरीफ फसल की बुआई के शुरुआती आंकड़ों को कमोडिटी विशेषज्ञ बहुत ज्यादा अहमियत नहीं दे रहे हैं। शेअर खान कमोडिटी प्रमुख मेहुल अग्रवाल कहते है कि इन आंकड़ों को देखकर पूरे सीजन का अनुमान लगाना ठीक नहीं होगा। शुरूआती ट्रेंड बहुत जल्द बदल जाएगा। उनके अनुसार इस बार तिलहन की बुआई पिछले साल की अपेक्षा कमजोर रहने वाली है जबकि गन्ना और कपास पिछले साल की अपेक्षा करीबन 10-10 फीसदी ज्यादा क्षेत्र पर बोये जा सकते हैं क्योंकि सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य, बाजार में मांग और कीमत के साथ मॉनसून का रुझान भी इनको प्रभावित करने वाला है। अग्रवाल का मानना है कि जुलाई अगस्त में अल नीनो अगर आता है तो भारी बारिश होगी जैसा मौसम विभाग का कहना है, तो तिलहन और दलहन फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है, जबकि गन्ना , कपास और धान की फसलें मजबूत हो सकती हैं। (बीएस हिंदी)
30 जून 2010
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