14 जून 2010
सब्जियों के संकर बीज में कंपनियों की रुचि
अधिक उत्पादन देने वाले सब्जियों के हाइब्रिड बीज के बाजार पर अब बहुराष्ट्रीय बीज कंपनियों के साथ घरेलू निजी कंपनियों की भी नजर है। देश में सब्जियों के बीज का कारोबार करीब 1,500 करोड़ रुपये का है, इसमें अधिकतर भागीदारी निजी क्षेत्र की कंपनियों की हैं, लेकिन अब नए हाइब्रिड विकसित करने पर भी कंपनियां निवेश कर रही हैं। हालांकि शुरूआती शोध सरकारी संस्थाओं में हुआ था, लेकिन अधिकतर सब्जियों के अच्छे हाइब्रिड विदेशी हैं। अब निजी कंपनियों ने सरकारी कंपनियों के शोध पर निर्भर न रहते हुए अपनी नई संकर किस्में विकसित करने का निर्णय किया है। रासी सीड्स प्राइवेट लि। के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. अरविंद कपूर का कहना है कि बंदगोभी और फूलगोभी के करीब 99 फीसदी बीज विदेशों से आयात किए जा रहे हैं। इसके अलावा अन्य सब्जियों के भी अच्छे बीज उपलब्ध नहीं हैं। डॉ. कपूर का कहना है कि इसी के मद्देनजर रासी सीड ले-हाइवेज नाम का नया ब्रांड लांच किया है। कंपनी का मकसद सब्जी बीज बाजार में करीब 15 फीसदी की हिस्सेदारी प्राप्त करना है। विभा सीड्स ने भी सब्जियों के बीजों के लिए 200 करोड़ रुपये की बीज प्रसंस्करण इकाई स्थापित की है। विभा सीड्स के चेयरमैन विद्यासागर पचौरी का कहना है कि सब्जियों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है और इसमें किसानों को लाभ भी काफी हो रहा हैं। कंपनी की कोशिश अधिक से अधिक हाइब्रिड बीज किसानों तक पहुंचाने की है। ट्रस्ट फॉर एडवांसमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंस के चेयरमैन और आईसीएआर के पूर्व महानिदेशक डॉ. आर. एस. परौदा ने बताया कि अन्य फसलों की तुलना में बुवाई के लिए सब्जियों के कम बीजों की जरूरत होती है और पैदावार अधिक होती है। इसलिए इसे कम मात्रा और उच्च कीमत वाला बीज कारोबार कहते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में सहायक महा निदेशक डॉ. उमेश सिंह का कहना है कि सब्जियों के बीज विकसित करने के लिए ठंडे क्षेत्र की आवश्यकता होती है।इसलिए गर्म क्षेत्रों में उगाने के साथ ही इनके बीज प्राप्त करने के लिए ठंडे क्षेत्रों में भी लगाया जाता है। अभी तक हाइब्रिड किस्मों के 117 बीज को स्वीकृति मिली हुई है, लेकिन इसमें सबसे अधिक 108 पंजीकरण आईसीएआर के ही नाम हैं। लेकिन जल्द ही निजी क्षेत्र नए बीजों के मामलों में सरकारी संस्थाओं को पीछे छोड़ देंगी। (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)
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