कोच्चि June 10, 2010
काली मिर्च के वैश्विक बाजार में आपूर्ति घटने से आने वाले दिनों में कीमतों में तेज उछाल देखने को मिल सकती है। वियतनाम दुनिया का सबसे बड़ा काली मिर्च उत्पादक देश है। यह अब तक अपने कुल उत्पादन का 60 फीसदी हिस्सा विश्व बाजार में उतार चुका है। मई में वियतनाम ने 60,000 टन काली मिर्च का निर्यात किया था। जून के अंत तक निर्यात के 70,000 टन तक पहुंचने की संभावना है। चीन को किया जाने वाला गैर कानूनी निर्यात भी करीब 10,000 टन रहने का अनुमान है। साल की दूसरी तिमाही के लिए वियतनाम के पास 30,000 टन का भंडार है।कटाई का अगला सत्र इंडोनेशिया में शुरू होता है जिसके बाद ब्राजील में कटाई का काम होता है। इंडोनेशिया में कटाई का काम जुलाई तक शुरू हो जाएगा और यहां 22,000 टन से 25,000 टन के करीब उत्पादन का अनुमान है। ब्राजील में कटाई सितंबर तक शुरू होती है और यहां उत्पादन 30,000 टन रहने का अनुमान है।अमेरिकी बाजार सूत्रों के मुताबिक ब्राजील में पुरानी बेलों और सूखे की वजह से ब्राजील में उत्पादन गिर सकता है। लिहाजा वैश्विक बाजार में चालू साल की दूसरी छमाही में भी आपूर्ति में खींच-तान बनी रहेगी। केरल के ज्यादातर किसान सितंबर-अक्टूबर तक कीमतों के 200 रुपये किलो तक जाने की उम्मीद लगा रहे और इसलिए उन्होंने स्टॉक रोक कर रखा है। मौजूदा समय में स्थानीय बाजार में काली मिर्च की अन-गारबल्ड किस्म के भाव 152 रुपये किलो और गारबल्ड किस्म के भाव 157 रुपये किलो चल रहे हैं। प्राकृतिक रबर और जायफल की कीमतें भी काफी ऊंची चल रही हैं। ऐसे में रबर, जायफल और कालीमिर्च का उत्पादन करने वाले किसान भंडार निकालने की हड़बड़ी नहीं दिखा रहे हैं। स्थानीय बाजारों में काली मिर्च की आपूर्ति काफी कम है।वियतनाम भी स्टॉक जारी करने को लेकर कोई जल्दी नहीं दिखा रहा है क्योंकि उनकी मुद्रा के मूल्यांकन को लेकर अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। फिलहाल वियतनाम 3,550-3,600 डॉलर प्रति टन पर काली मिर्च की बिक्री कर रहा है, वहीं भारत 3,500 डॉलर प्रति टन कीमत की पेशकश कर रहा है। इंडोनेशिया तेजी से पुराना भंडार निकाल रहा है। यह 3,300-3,500 डॉलर प्रति टन कीमत की पेशकश कर रहा है। ब्राजील से 3,450-3,500 डॉलर प्रति टन भाव के संकेत आ रहे हैं। काली मिर्च के बड़े निर्यातकों के मुताबिक वियतनाम में भंडार की स्थिति अगस्त तक ढीली हो जाएगी और इसके बाद अगस्तसे नवंबर तक कीमतों में तेज उछाल देखने को मिलेगी। भारत में दिसंबर में अगले फसल सत्र की शुरुआत से पहले कीमतों में तेजी रहेगी।निर्यातकों का यह भी कहना है कि आने वाले महीनों में आयात कम रहेगा क्योंकि वियतनाम में कीमतें भारत के मुकाबले ज्यादा हैं। उनके मुताबिक मुद्रा के मूल्यांकन को लेकर अनिश्चितता, खासतौर से रुपया-डॉलर समता और यूरो के मूल्य को लेकर जारी चिंताओं से भारतीय बाजार बुरी तरह प्रभावित होगा। काली मिर्च खरीदारी का यह सबसे अच्छा समय है, लेकिन वैश्विक बाजारों में यूरोपीय खरीदार सक्रिय नहीं हैं। वहां जारी आर्थिक संकट कारोबारियों को भारी स्टॉक जमा करने से रोक रहा है। इस वजह से विदेशी मांग कमजोर चल रही है और इसका असर कीमतों पर हो सकता है, लेकिन आपूर्ति कम होने से अगस्त तक काली मिर्च बाजार में उछाल के मजबूत संकेत मिल रहे हैं। (बीएस हिंदी)
11 जून 2010
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