मुंबई June 14, 2010
चांदी की कीमतें गिरने से पहले कुछ बढ़ सकती हैं। खपत को लेकर संशय के चलते चांदी की कीमतों में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। पिछले 2 महीनों के दौरान चांदी की कीमतों में बड़े पैमाने पर उतार-चढ़ाव देखा गया। सोमवार को भी मुंबई में सोने की कीमतों में 125 रुपये प्रति 10 ग्राम की गिरावट आई और यह 18615 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ। वहीं चांदी की कीमतों में शनिवार की बंदी की तुलना में महज 5 रुपये की गिरावट आई और यह 29665 रुपये प्रति किलो पर बंद हुई।अभी एक महीने पहले 12 मई को चांदी की कीमतें 19।54 डॉलर प्रति औंस के उच्च स्तर पर पहुंच गई थीं, जो अप्रैल के बाद का सर्वोच्च स्तर था। लेकिन जब सोने की कीमतों में गिरावट आने लगी और कीमतें सर्वोच्च स्तर से 40 डॉलर (3.5 प्रतिशत) गिर गईं, तो चांदी में भी करीब 2 डॉलर या करीब 10 प्रतिशत की गिरावट आई। हालांकि उसके बाद चांदी में रिकवरी हो गई और वर्तमान में इसकी कीमतें 18.40 डॉलर प्रति औंस हैं, जो एक महीने पहले के उच्च स्तर से 6 प्रतिशत कम है। चांदी की कीमतें मई 2008 में अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंची थीं, जब कारोबार 20.81 डॉलर प्रति औंस के भाव हुआ। इस समय कीमतें सर्वोच्च स्तर से 17.4 प्रतिशत कम हैं।बुलियन कारोबार के विश्लेषक भार्गव वैद्य के मुताबिक चांदी का कारोबार 20-17 डॉलर प्रति औंंस के बीच रहने की उम्मीद है। इस तरह से देखें तो कीमतें ऊपर की ओर जाने की अभी संभावना है। मुंबई बाजार में चांदी की मांग में गिरावट आई है और इसके साथ आयात भी कम होकर आधार रह गया है। मुख्य रूप से आयात में कमी कीमतों में उतार-चढ़ाव और उच्च कीमतों की वजह से आई है। उन्होंने कहा कि 2009 की दूसरी छमाही में करीब 1400 टन चांदी का आयात हुआ, जो 2010 में अब तक गिरकर 700 टन के करीब रह गया है। मांग को लेकर उपजे मतभेद की वजह से चांदी की कीमतों में उतार-चढ़ाव ज्यादा है। आधे से ज्यादा चांदी की खपत गैर निवेश या कहें औद्योगिक उपभोग में होती है। ऐसी स्थिति में जब विकास दर का मसला आता है तो सोने की कीमतों में तेजी देखी जाती है, वहीं चांदी में गिरावट आती है। साथ ही गिरावट के बाद चांदी की खरीदारी तेज होती है, क्योंकि चांदी को भी सोने की तरह से ही कीमती धातुओं की श्रेणी में रखा जाता है। अगर कुछ समय के लिए मंदी की चिंता दूर होती है तो सोने की तुलना में अन्य बाजार चढऩे लगते हैं। अनिश्चितता के दौर में सोने की कीमतों में गिरावट आती है। वहीं चांदी की कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव रहता है। इसकी सीधी सी वजह यह है कि मंदी के समय में चांदी की औद्योगिक खपत में गिरावट के अनुमान लगते हैं। वहीं निवेश के लिहाज से मांग में तेजी आ जाती है। इंडिया इन्फोलाइन के विश्लेषक भी कहते हैं- हम उम्मीद करते हैं कि चांदी की कीमतें एक बार फिर 20 डॉलर के ऊपर जा सकती हैं। सितंबर तक ऐसी उम्मीद है और भारत में कीमतें 31,500 रुपये प्रति किलो के करीब होंगी। चांदी और सोने की कीमतों का अनुपात 66 का है, जो 70 तक जा सकता है। इसके साथ ही साल के दौरान कीमतों का अनुपात 70-55 के बीच रहने उम्मीद है। इंडिया इन्फोलाइन की चांदी पर तैयार रिपोर्ट में कहा गया है- वर्तमान परिदृश्य में निवेशक महंगाई या अत्यधिक महंगाई को देखकर प्रतिक्रिया देता है। ऐसे में चांदी की कीमतों में तेजी हो सकती है। इसकी वजह यह है कि इसे कीमती धातु भी माना जाता है और इसका औद्योगिक इस्तेमाल भी बड़े पैमाने पर होता है। (बीएस हिंदी)
15 जून 2010
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